Saturday, 16 January 2021

बलात्कार का वो अनुभव

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम गीता है। मे सितारगंज की रहने वाली हूँ। आज में आप सबको मेरी चुदाई की एक स्टोरी बताने जा रही हूँ, मेरी यह स्टोरी बिल्कुल सच्ची है, जिसमें 4 लड़को ने मेरे साथ रेप किया है। अब में आपको अपने बारे में बता देती हूँ, मेरी उम्र 19 साल है और में सितारगंज की रहने वाली हूँ। में बी.ए कर रही हूँ और मेरा फिगर साईज 36-28-36 है और में गोरी हूँ। में ज्यादातर सलवार कमीज़ पहनती हूँ। फिर एक दिन में अपने कॉलेज से जल्दी दोपहर को वापस आ रही थी तो उतने में एक कार मेरे पास आकर रुकी। फिर उसका दरवाजा खुला और 2 लड़को ने मुझे ज़बरदस्ती से खींचकर अंदर ले लिया। अब यह सब इतना अचानक हुआ था कि में चिल्ला भी नहीं पाई, उस कार केे अंदर मेरा एक क्लासमेट भी था, अब में बहुत घबरा गई थी। फिर उसने मुझसे कहा कि डरो मत उसका नाम सोम था। फिर उसने मेरा दूसरो लड़को से परिचय करवाया, उनका नाम जय, आमिर और रोहित था, वो सब हट्टे कट्टे थे। फिर उसमें से सोम बोला कि आज तो हम तेरा खूब मज़ा लेंगे।



फिर में रोने जैसी सूरत बनाकर बोली कि मुझे जाने दो तो जय ने मुझे एक थप्पड़ मार दिया। अब में और घबरा गई थी, अब सोम मेरे राईट साईड बैठा था और आमिर लेफ्ट साईड में बैठा था और रोहित मेरे सामने बैठा था और जय वैन ड्राइव कर रहा था। फिर सोम ने मेरे सीधे बूब्स को बाहर से दबाते हुए बोला कि वाह क्या सॉफ्ट स्पंज जैसे बड़े-बड़े बूब्स है? तो रोहित बोला कि चलो में भी तो देखूं और फिर वो दोनों मिलकर मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। अब में इतनी ज्यादा डर गई थी कि कुछ नहीं कर पाई। फिर मैंने उन्हें अपने हाथों से दूर करना चाहा तो आमिर ने मुझे फिर से थप्पड़ मार दिया।

अब गाड़ी सुनसान रास्ते पर जा रही थी और अब जय मेरी जांघो को मसल रहा था। फिर गाड़ी एक फार्महाउस पर रुकी और फिर उन्होंने मुझे उठाकर अंदर ले जाकर सीधा स्विमिंग पूल में डाल दिया, वो बहुत सुनसान इलाक़ा था। फिर वो सब एक-एक करके नंगे हो गये और उन सबके लंड बहुत लंबे और मोटे थे। अब में बहुत घबरा चुकी थी, फिर वो सब पूल में कूद गये और अब में पूरी भीग चुकी थी और अब वो सब मेरी बॉडी को हर जगह से दबा रहे थे। फिर जय मेरे पीछे गया और अपने लंड को मेरी गांड से सटाकर रगड़ने लगा। फिर आमिर और रोहित ने मेरे दोनों हाथ ऊपर किए और सोम ने मेरा सलवार निकाल दिया और फिर जय ने पूल में अंदर जाकर मेरा कमीज़ भी निकाल दिया। अब में बोलती रही कि प्लीज़ मुझे जाने दो प्लीज़, लेकिन में एक थी और वो 4 थे, जिससे में कुछ नहीं कर पाई।

अब वो सब बोल रहे थे कि वाह क्या बूब्स है? क्या गांड है? फिर आमिर ने अचानक से पूल में अंदर जाकर मेरी पेंटी भी निकाल दी और जय ने मेरी ब्रा निकाल दी। अब में उन चारों के सामने नंगी पूल में थी। अब वो सब अपने अपने लंड को मेरे शरीर पर यहाँ वहाँ रगड़ रहे थे, कभी गांड पर तो कभी चूत पर। फिर उन्होंने मुझे बाहर उल्टा लेटा दिया और फिर जय ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ा और आमिर ने मेरी दोनों टांगो को पकड़ा और ऐसे करके उन्होंने मुझे अपने कंधो पर उठा दिया और सोम अपने हाथ मेरी गांड पर रखकर दबाने लगा और रोहित मेरे झूलते हुए बूब्स से खेलने लगा और उन्हें दबाने लगा था। अब आमिर मेरी चूत में उँगलियाँ करने लगा था। अब मुझे ठंड लग रही थी और थोड़ा-थोड़ा सेक्स का नशा भी हो रहा था, लेकिन में बहुत डरी हुई थी। फिर वो इसी तरह से मुझे अंदर ले गये और पलंग पर लेटा दिया। फिर जय टावल लेकर आया और बोला कि आजा में तुझे पोछ दूँ और ऐसा कहकर वो मेरी जांघो पर बैठ गया। अब उसका लंड मेरी चूत से रगड़ने लगा था, अब वो मुझे ऊपर से नीचे तक दबाते हुए पोंछने लगा था।

फिर उतने में,अब वो चारो मेरी बॉडी को दबाते हुए खेलने लग गये थे, अब में कुछ नहीं कर पा रही थी। फिर रोहित मेरी सीधी साईड में और सोम मेरी जांघो पर और जय मेरी लेफ्ट साईड में और आमिर मेरे पेट पर बैठ गया था। फिर सोम मेरी चूत को किस करने लगा और चूसने लगा था। अब रोहित राईट साईड से अपने लंड से मेरे राईट बूब्स को और जय लेफ्ट साईड से अपने लंड को मेरे लेफ्ट बूब्स पर रखकर अपने लंड से दबा रहे थे। अब आमिर अपने लंड को मेरे दोनों बूब्स के बीच में रगड़ने लगा था। फिर जय उठकर लेट गया और उन तीनों ने मुझे उठाकर जय के ऊपर लेटा दिया। अब जय का लंड मेरी गांड में फिट हो गया था, वो बहुत हॉट था। अब वो अपने लंड को मेरी गांड के बीच में रगड़ने लगा था। फिर सोम भी मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लग गया था। अब रोहित और आमिर मेरे बूब्स को अपने मुँह में लेकर दबा-दबाकर चूसने लगे थे, अब में हर तरफ से यूज़ हो रही थी।

फिर सोम ने जय से कहा कि चल अब इसे चोदेंगे। फिर उन्होंने मुझे डॉगी स्टाइल में बैठा दिया और जय ने फिर से अपना लंड मेरी गांड के छेद में घुसाना स्टार्ट किया। फिर उसने जैसे ही एक झटका लगाया तो में ज़ोर से चिल्ला उठी आाआईईईईईई। फिर उसी समय रोहित ने अपना 8 इंच का पूरा लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और मुझे थप्पड़ मारकर बोला कि चूस इसे और फिर वो अपने लंड को मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगा। फिर उधर जय ने और एक झटका लगाया तो उसका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया। अब मुझे बहुत दर्द होने लगा था और अब आगे से रोहित झटके दे रहा था और पीछे से जय ने लगभग अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया था। 

अब मेरी गांड पर उसका पेट टकराने लगा था और अब उसके बॉल्स मेरी चूत पर टकरा रहे थे। अब आमिर मेरे नीचे था और मेरे बूब्स को बराबर दबा रहा था। फिर जय मुझे अपने साथ लेकर सो गया, अब उसका लंड अभी भी मेरी गांड में फंसा था। फिर सोम भी मेरे ऊपर चढ़ गया और अब में सोम और जय के बीच में दब गई थी, अब मेरी तो आवाज़ ही बंद हो गई थी। अब जय मेरी गांड में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था और सोम ने भी अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया था और फिर अचानक से ही उसने थोड़ा धक्का लगाकर अपना थोड़ा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। अब में बहुत जोर से चीख पड़ी थी और अब आमिर मेरे बूब्स पर बैठ गया और अपना लंड मेरे मुँह में चुसवाने के लिए डाल दिया था। अब वो मेरे बूब्स पर बैठकर ऊपर नीचे होने लगा था, अब मेरे बूब्स बुरी तरह से दब रहे थे। अब सोम ने झटके दे देकर मेरी चूत में अपना आधा लंड घुसा दिया था और उधर जय तो लगातार सांड की तरह चालू था।

अब उतने में रोहित भी ज़बरदस्ती से अपना लंड मेरे मुँह में घुसा रहा था। अब में चारों तरफ से भर चुकी थी और अब सोम मेरी चूत में, जय मेरी गांड में, रोहित और आमिर मेरे मुँह में अपना लंड डाले हुए थे। फिर रोहित और आमिर ने सोम और जय से कहा कि अब हम भी अपने हाथ मारेंगे, तो सोम ने अपना लंड मेरी चूत में से झटके से बाहर निकाल दिया और खड़ा हो गया। अब मेरी चूत और गांड दोनों गीले हो चुके थे। फिर जय ने मुझे अपने लंड पर बैठाया और खड़ा करके अपना लंड बाहर निकाला और फिर रोहित वापस से सो गया। फिर आमिर ने मुझे कसकर पकड़ा और रोहित के खड़े लंड में मेरी गांड का छेद सेट कर दिया और मुझे छोड़ दिया तो जय का पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया। फिर जय ने मेरे बूब्स पीछे से पकड़े और मुझे उस पर लेटा दिया। अब रोहित मेरी जांघो पर बैठकर अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा था और अपने लंड को गर्म करने लगा था।

फिर जब उसका लंड खड़ा हो गया तो उसने भी एक झटके में अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। अब मेरी चूत और गांड की हालत खराब हो गई थी। फिर रोहित और जय ने अपने धक्के शुरू कर दिये और इधर सोम और जय मेरे बूब्स से अपने लंड को स्वाद चखा रहे थे। फिर यह सब कुछ आधे घंटे तक चला। अब में भी आनंद लेने लगी थी और अब वो लोग भी थक चुके थे और में तो टूट ही गई थी। फिर वो सब उठे और उन्होंने मुझे वापस से पूल में ले जाकर नंगी ही डाल दिया और फिर उन्होंने मुझे वहाँ शॉवर के नीचे ले जाकर मेरे बदन को रगड़ना शुरू किया फिर शाम को उन्होंने मुझे वापस से उसी जगह पर छोड़ दिया, जहाँ से वो मुझे लेकर आए थे ।

सेक्सी नौकरानी की चुदाई की कामना कैसे पूरी की

दोस्तो, मैं एक 23 वर्षीय युवक हूं.
आप समझ सकते हैं कि 23 साल की उम्र की उफनती जवानी में सेक्स को लेकर कैसे विचार आते हैं.
हर वक्त चुदाई करने का मन करता रहता है.

अगर मेरे जैसे जवान लड़के के घर में कोई जवान चंचल नौकरानी काम कर रही हो तो किसी की भी नियत खराब होना काफी संभव सी बात लगती है.

मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ.
हमारे घर में हमने नयी नौकरानी रखी. हमारे घर में पहले काम कर चुकी नौकरानियों में से ही एक की बेटी हमारी नयी नौकरानी थी.

जब मैंने पहले दिन अपनी नयी देसी इंडियन मेड को देखा तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि अब मुझे अपने लंड को बहलाने के लिए अपने हाथ के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा.

मुझे लगने लगा कि जल्दी ही मेरी मुठ मारने की आदत भी छूट जायेगी.

हमारा 3 बेडरूम का फ्लैट था. जिसको साफ सुथरा रखने के लिए हमने उसे रखा था. वो मेरी ही उम्र की थी इसलिए मेरी मां भी कुछ सावधानियां रख रही थी.

अपनी रोज की दिनचर्या के बाद मेरी मां एक घंटा शाम को सैर के लिये जाने लगी.

सुबह के समय वो मुझे किसी न किसी काम में व्यस्त रखती थी ताकि मेरा मन कामुक विचारों में न भटकने लगे.

मगर अफसोस! दो हफ्ते के बाद ही एक दिन मेरी मां के सारे प्रयास विफल हो गये. एक दिन मेरी मां और नौकरानी, दोनों एक छोटी सी बात को लेकर आपस में झगड़ने लगीं. काफी देर की कहासुनी के बाद मामला शांत हुआ.

मेरी मां का मन नौकरानी की ओर से खट्टा हो गया और उसने उस दिन के बाद से उस जवान नौकरानी की चूत की चिंता छोड़ दी. उसने अपनी शाम की सैर पर ज्यादा ध्यान रखा.

एक शाम को मैंने अपनी चाल चली.
घर की कमान मेरे हाथ में थी क्योंकि मां सैर पर जा चुकी थी.

मैंने चुपके से मौका पाकर अपने बाथरूम में कैमकॉर्डर रख दिया.

काम खत्म करने के बाद नौकरानी बाथरूम में घुस गयी. वो काम खत्म होने के बाद नहा कर घर जाती थी.

उस दिन वो गयी और खुद को साफ करके बाहर आ गयी.
उसने शायद बाथरूम में लगे कैमरे पर ध्यान नहीं दिया.

उसके जाने से पहले मैंने उसके साथ थोड़ी आत्मीयता से बात की.
फिर वो चली गयी.

रात का खाना हुआ और मैं बस इंतजार कर रहा था सोने के टाइम का.

आज रात को नौकरानी के जिस्म के दर्शन करने के लिए मैं बेताब था.

फिर सोने का टाइम हुआ और मैं अपने कमरे में गया. मैंने कैमकॉर्डर में उसका नंगा जिस्म देखा जिसको वो रगड़ रगड़ कर साफ कर रही थी.

मैंने उसको देखकर मुठ मारी.

मगर बात यहीं खत्म नहीं हुई. उसने खुद को साफ करने के बाद मेरी मां के महंगे शैम्पू को एक छोटी सी शीशी में डाला और चुपके से लेकर निकल गयी.

जब वो उस छोटी शीशी को छुपा रही थी तो मैंने उसकी सलवार के नाड़े में कुछ और छोटी बोतलें भी देखीं. वो मेरी मां के कई जरूरी तेल और दूसरे सामान भी चुराकर ले जा रही थी.

अब मैंने सोच लिया था कि इसकी इसी चोरी का फायदा उठाकर मैं इसको बाथरूम में चोदूंगा.

मगर अफसोस की बात ये हुई कि मैं अगले दिन समय पर अपने घर नहीं पहुंच पाया.

उसके बाद फिर लगातार मुझे मौका नहीं मिल पाया और वो पूरा हफ्ता ऐसे ही निकल गया.

मैं हैरान था.
साली रंडी, बहुत किस्मत वाली थी जो मेरे लंड से लगातार बचती जा रही थी.

मगर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं था कि मैं अपनी इस जवान नौकरानी को छोड़ दूंगा.
अगले हफ्ते लॉकडाउन हो गया और सब तरफ कोरोना की दहशत फैल गयी.

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि नौकरानी की चुदाई का मौका मेरे हाथ से इतनी आसानी से निकल गया.
खैर, मैंने अपनी हवस को शांत करने के लिए अन्तर्वासना पर सेक्स स्टोरीज पढ़ना शुरू कर दिया.

सेक्स स्टोरीज पढ़ते हुए मेरी नजर एक विज्ञापन पर गयी जिसमें लिखा था- खुले विचारों वाली वेबकैम मॉडल शनाया को अपनी चूत गीली करवाना पसंद है. 

मन में तुरंत ख्याल आया कि मैं अपनी नौकरानी की चुदाई तो नहीं कर पाया लेकिन शनाया के माध्यम से मैं नौकरानी की चुदाई की कल्पना तो कर ही सकता हूं.

नौकरानी की चुदाई की अपनी हवस को शांत करने के लिए मैंने शनाया के साथ लाइव सेक्स चैट सेशन करने का सोचा.

मैंने तुरंत अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.
उसके बाद मैं अपने पजामे को निकाल कर अपने कंप्यूटर के सामने बैठ गया.

वहां पर लाइव सेक्स चैट सेशन के लिए क्रेडिट्स की जरूरत थी जो पेमेंट करने के बाद मुझे मिल गये.

गुपचुप तरीके से मैंने क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर दी. पेमेंट का तरीका पूर्ण रूप से सुरक्षित था.

जब सेशन शुरू हुआ तो मैंने देखा कि शनाया बेड पर मादक से आलसी अंदाज में लेटी हुई थी.
उसने अपने बड़े से भूरे रंग के टेडी बियर को बांहों में लिया हुआ था.
उस टेडी बियर पर एक पट्टी के माध्यम से डिल्डो (बनावटी लंड) बांधा गया था.
उसके लंड को शनाया अपने हाथ से बहुत ही आराम से सहला रही थी.

वो कामुक नजारा देखकर मेरे अंदर की घबराहट और शर्म जाती रही और मेरे अंदर एक आत्मविश्वास सा भर गया.
शनाया ने टेडी लंड को सहलाते हुए कहा- हैलो बेबी. शायद तुम्हें पता होगा कि जवान लड़कियां अपने टेडी के साथ क्यों सोती हैं… हे हे हे.
उसने कामुक अंदाज में हंसते हुए कहा.

मैं- वाह! मैंने सोचा कि लोग टेडी बियर के साथ चुदाई के बारे में कल्पना करते हैं।
शनाया- लड़कियों को जब ठरक चढ़ी होती है तो वे कामुक गंदा सेक्स करना बहुत इंजॉय करती हैं और उसी की कल्पना करती हैं.
मैं- फिर तो मुझे खुशी है कि मैं आपके साथ यह सेक्स चैट सेशन कर रहा हूं।

जब मैं शनाया से बात कर रहा था तब मैं भी साथ-साथ लंड की मुठ मार रहा था.
उसकी सुडौल कसी हुई गोल गोल गांड ने मुझे एक गहरी कामवासना में डाल दिया था।

शनाया अब टेडी को फर्श पर लेटा कर खेल रही थी.
वो बोली- अब केवल मैं और आप हैं बेबी. मुझे अपनी कामुक कल्पनाओं के बारे में बताओ कि तुम किसके बारे में सोचते हुए मुठ मारते हो, या रिश्तों में चुदाई का ज्यादा मजा लेते हो?

मैंने शनाया को अपनी नौकरानी के बारे में बताया कि कैसे मैंने उसकी चुदाई का मौका गंवा दिया.

मेरी स्टोरी सुनने के बाद उसको एक विचार आया और उसने मुझे भी वो विस्तार से समझाया.

वो वेबकैम को बाथरूम में ले गयी और उसको सही जगह पर सेट कर दिया.

उसने इशारा किया कि वो तैयार है और फिर मैं भी वो कामुक रोल प्ले करने के लिये तैयार हो गया.

शनाया ने बाथरूम के शेल्फ से एक शैम्पू की शीशी उठाई और ऐसे दिखाने लगी कि जैसे वो उसको चोरी कर रही है.

मैं- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां का महंगा शैम्पू चुराने की? मैं अभी जाकर उसको ये सब बता दूंगा और वो तुम्हारी गांड पर लात मारकर तुम्हें घर और काम से निकाल देगी.

शनाया- नहीं, नहीं. आप रुको प्लीज. ऐसा मत करना. मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हूं. आप कुछ भी बोलेगे मैं करूंगी.
वो दया की भीख मांगते हुए बोली.

मैं- ठीक है, तो फिर मेरा लंड चूसो और फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा.

शनाया ऐसे दर्शाने लगी कि उसको लंड चूसने में परेशानी है और वो हिचक रही है.

फिर उसने एक काले डिल्डो को दीवार पर लगाया और फिर वो उसको चूसने लगी.

मैं- हां, बहुत सही जा रही हो. आह्ह … करो … पूरा अंदर ले ले रंडी जब तक कि तेरा गला न रुक जाये. चूस ले इसे.

शनाया फिर उस पर जोरदार थप्पड़ मारने लगी. उसने थूक थूककर उस पर लार की एक मोटी परत बना दी. उसने डिल्डो पूरा अपने गले तक उतार लिया और मैं ये देखकर हैरान था.

उसने कुछ सेकेंड्स तक डिल्डो को गले में ही रखा और उसकी आंखों में पानी आने लगा.
फिर उसने डिल्डो को मुंह से निकाला और वो जोर से सांसें लेने लगी.

मैं- क्या तुम्हें मजा आ रहा है? अब अपने कपड़े उतार लो और मेरे लंड को रगड़ दो. आज मैं तुम्हें एक अच्छी सीख दूंगा.

शनाया ने अपने कपड़े उतार दिये और अपनी कसी हुई फिगर दिखाने लगी.

उसने चारों ओर घूमकर अपनी फिगर दिखाई. अपनी गांड को चौड़ी करके दिखाते हुए उसके चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव थे.
उसके द्वारा की गयी चोरी की सजा उसे मिल रही थी, वो इसे सही से दिखा रही थी.

अब वो अपनी टाइट गांड को उस डिल्डो पर दबाने लगी. वो गांड को उस पर नीचे और ऊपर करते हुए रगड़ने लगी; उसकी गांड की दरार में फिराने लगी.

कई मिनट तक गांड की दरार में रगड़ने के बाद उसने अचानक से उस डिल्डो को अपनी चूत में ले लिया.
मैं- अपनी इस टाइट गांड को मेरे लंड पर उछालो. साली कुतिया, मैं तेरी गांड की चटनी बना दूंगा आज.

अब शनाया, उस डिल्डो पर अपनी गांड को जोश में पटकने लगी और जोर से सिसकारियां लेने लगी.
उसने अपने तने हुए चूचों को दबाना शुरू किया जिनके निप्पल एकदम से कड़े हो चुके थे.

मैं भी अपने कड़क हो चुके लंड को अपनी पूरी ताकत लगाकर जोर से रगड़ रहा था.
शनाया ने मजे में चिल्लाते हुए कहा- आह्ह … प्लीज … ओह्ह … आराम से … आह्ह … धीरे।

शनाया अपनी गांड को उस डिल्डो पर नचा रही थी और ये नजारा देखकर मैं अपने लंड की मुठ मारता जा रहा था.

कुछ देर के झटके देने के बाद मुझसे अब खुद पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो गया.

मैं अपने वीर्य को अब अंदर रोक कर नहीं रख सकता था.
शनाया मेरी ओर देख रही थी और मेरे लंड से एकदम से मेरा गर्म गर्म वीर्य निकल कर कंप्यूर स्क्रीन पर जा लगा.

शनाया ने मेरे वीर्य की पिचकारियां देखीं. वो मेरी हालत देखकर अपने क्लिटोरिस को उंगलियों से रगड़ने लगी और मस्ती में सिसकारने लगी.
फिर एकदम से उसकी चूत से भी पानी निकल पड़ा.

वो भी मेरी तरह ही अपना कामरस निकालने के बाद जोर जोर से सांसें ले रही थी.

हमने अपने अपने यौनांगों से एक दूसरे को दिखा दिखाकर चिढ़ाया और फिर अपनी फेंटेसी के बारे में बातें कीं.

उसने अपनी चूत और गांड का पूरा नजारा मुझे खोल खोलकर दिखाया.

उसके बाद हमारा लाइव सेक्स चैट सेशन खत्म हो गया.

वेबकैम मॉडल शनाया के साथ दिल्ली सेक्स चैट पर मेरा पहला सेशन बहुत मजेदार रहा.

मेरे पैसे और समय दोनों का ही मैंने पूरा इस्तेमाल किया. मैं संतुष्ट हो गया था.
नौकरानी की चुदाई तो मैं नहीं कर पाया लेकिन शनाया की मोटी गांड और चूचियों के मजे लेकर मैं अब खुश था.

उस दिन मुझे मुठ मारने और अपनी फेंटेसी को पूरा करने का एक बहुत ही अनोखा और बहुत ही कामुक तरीका मिल गया था.
मैं आप लोगों से भी कहना चाहता हूं कि आप भी एक बार शनाया को जरूर आजमायें.

Wednesday, 13 January 2021

ड्राइवर के साथ सेक्स का मज़ा लिया क्यों की पति का खड़ा होता ही नहीं

हेलो दोस्त मैं सुष्मिता ३२ साल की औरत हु, अभी तक मुझे कोई बच्चा नहीं हुआ है, रीज़न ये है की पति को पिछले पांच साल से बीमारी है इस वजह से अब उनमे शक्ति नहीं रही अब तो उनका लौड़ा भी खड़ा नहीं होता, मेरा पति नीरज ने ही मुझे चुदवाने के लिए कहा है क्यों की उनको बच्चा चाहिए.

हम दोनों ने मिलकर एक अखबार में इश्तिहार निकाला की मेरे यहाँ ड्राइवर की भर्ती है, हमदोनो ने मिलकर तय किया की तीन चार महीने के लिए ड्राइवर रख लेते है जब मैं प्रेग्नेनेट हो जाऊूँगी तब उसे नौकर से निकाल दूंगी. संडे का दिन था, करीब १० के करीब ड्राइवर इंटरव्यू देने आया उसमे से एक जिसका कद काठी अच्छा था गोरा था मस्सल्स उसके टाइट थे उसको ड्राइवर के लिए रख लिया, उॅका नाम था रामगोपाल सिंह, देखने में काफी अच्छा था मुझे लगा ये ये मुझे संतुष्ट कर देगा क्यों की मुझे चुदे करीब ५ साल हो गया था उसके बाद तो केला और बैगन से ही काम चला रही थी.
दो तीन दिन तो मैं नीरज और ड्राइवर तीनो कभी किसी सम्बन्धी की यहाँ तो कभी शॉपिंग और एक दिन गंगा नहाने हरिद्वार भी गए ताकि ड्राइवर को ये ना लगे की यहाँ कोई काम ही नहीं है, तीन चार दिन बिजी रहने के बाद हम दोनों ने प्लान बनाया की अब ड्राइवर से चुदवाने का टाइम आ गया, तो मैंने और नीरज ने एक प्लान किया की आगरा जाते है किसी काम के बहाने रात को होटल में रहेंगे और काम करेंगे तो नीरज बोला की सुष्मिता ऐसा है फिर मैं ३ दिन के लिए अपना गाँव चला जाता हु तुम दोनों आराम से चुदाई का मज़ा लेना. तो मैंने ड्राइवर को बोल दिया की कल सुबह आगरा चलना है क्यों की नीरज गाँव जा रहे है एक जमीन खरीदने के सिलसिले में और मुझे आगरा में बैंक से पैसा निकालना है क्यों की वहा मेरा फिक्स है स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में. तो उसने कह दिया जी मैडम.
दूसरे दिन ड्राइवर दस बजे आ गया और हमदोनो आगरा के लिए निकलपड़े, मैंने उस दिन काफी सेक्सी कपडे पहने उसका गला काफी बड़ा था इस वजह से मेरा बूब आधा निकला हुआ था, मैंने जब गाडी में बैठी (हौंडा सिटी) तो दुप्पटा निकाल दिया और मैं आराम से पीछे बैठ गयी ताकि मेरा ड्राइवर अपने बीच बाले मिरर से मुझे और मेरे चूच को निहार सके, हुआ भी ऐसा मैं सोने का नाटक कर रही थी अपर उसको देख भी रही तो वो बार बार मेरे चूच के तरफ देख रहा था मैंने भी यही चाहती थी, उस दिन वो काफी अच्छा जीन्स और टी शर्ट पहन के आया था काफी सुन्दर लग रहा था, करीब 2 बजे तक आगरा पहुंच गए थे !
वह जाकर होटल लिया मैंने पहचान पात्र दिखाया और ड्राइवर को पहले ही बता दिया था तुम भी उसी कमरे में रह जाना क्यों की कल सुबह बैंक का काम है रात भर इसी होटल में काट लेते है, जब कमरे में पहुंची फिर जाके मैं बाथरूम के नहाने चली गयी, क्यों की गर्मी का दिन था, तब तक मेरा ड्राइवर दूसरे बेड पे लेटकर टीवी देख रहा था, बेड अलग अलग था कमरा एक था, फिर मैंने आवाज़ लगाई, रामगोपाल मेरे बैग में मेरा कपड़ा है देना. तो राम सिंह बैग खोलकर बोला मैडम जी कौन सा चाहिए जीन्स दू, बोली नहीं राम गोपाल जी मेरा अंदर ब्लाउज दे दो, मैं बाथरूम का थोड़ा दरवाजा खोल के देख रही थी की रामगोपाल का रिएक्शन क्या है, वो ढूंढ के निकाला और बाथरूम के तरफ बढ़ा मैंने अपना हाथ निकाली थोड़ा ज्यादा निकाल दी, और मेरे हाथ में मेरा ब्रा दे दिया, फिर मैंने ब्रा पहने लगी और एक उपाय सुझा मैंने बाथरूम का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं की थी, मैंने नाटक किया, बाथरूम के बाल्टी को कस के पटक दी और मैं भी लेट गयी जोर से दरवाजे में धक्का लगाके और बोल पड़ी मर गयी मर गयी मेरा पैर टूट गया आह आह आह, राम परेशान हो गया और दरवाजे के पास आके बोला मैडम जी आप ठीक तो हो, मैंने कहा नहीं मेरे सर में चोट लगा है कमर में चोट लगा है पैर पे खड़ा नहीं होया जा रहा है, बचाओ राम.

वो दरवाजा खोला पर वो सकपका गया क्यों की मैं सिर्फ ब्रा में और पेंटी में थी, मेरा चूच काफी बड़ा बड़ा है और शरीर काफी कैसा हुआ मेरे चूतड़ काफी उभरे हुए और जांघ काफी मोटी मोटी, मैंने उसके तरफ हाथ बढ़ाया वो मेरे हाथ को पकड़ लिया और उठाने लगा, मैंने झूठ मूठ किसी तरह उठी और उसके सहारे चलने लगी, वो मुझे थामे हुए था मैं भी अपना वजन उसपे देके चल रही थी मेरा चूच उसके बाह में पूरी तरह से सत्ता हुआ था उसने मुझे जकड़ा हुआ था और बाथरूम से बाहर निकाला.

मैं बेड पे लेट गयी, उसने बोला मैडम जी आप कपडे पहन लो मैं आपको डॉक्टर के यहाँ ले चलता हु, मैंने कहा नहीं राम मुझे काफी गर्मी लग रही है, उठा नहीं जा रहा है आँख के सामने आंध्रा लग रहा है, थोड़े देर ऐसे ही रहने दो, मैं थोड़ा आँख खोल के देखि वो मेरे संगमरमर बदन को निहार रहा था, फिर मैंने करीब ३० मिनट बाद उठ को गाउन पहन ली, गाउन भी पारदर्शी था, मेरा गोरा बदन उसमे दिखाई दे रहा था चूचियों की उभार साफ़ साफ़ दिख रहा था.
फिर शाम मैं खाना मंगवाई और खाना खा को आराम करने लगी मेरा ड्राइवर दूसरे बेड पे सोया टीवी देख रहा था, शाम को करीब सात बजे बाहर निकली और केंट रोड पे खाना खाया और एक व्हिस्की का बोतल और एक प्लेट तंदूरी चिकन भी ले ली, रात को करीब ९ बजे फ्रीज़ से सोडा निकाली और रामगोपाल को बोली चलेगा क्या? वो मुस्कुरा दिया, मैंने कहा आज तो मुझे चाहिए क्यों की बदन में काफी दर्द है, उसने सहमति दे दी, फिर हम दोनों पिने लगे, पीते पीते रात के करीब ११ बज गए, रामगोपाल ने कहा मैडम आप काफी अच्छी हो, मैंने कहा अच्छी मतलब, क्या सेक्सी नहीं हु, मेरे आवाज़ लड़खड़ा रहे थे, बोला हां मैडम, आज तो आपको देखा ब्रा और पेंटी में मेरा तो दिमाग ही घूम गया, गजब की सुन्दर हो ऊपर से निचे तक, तो मैंने कहा फिर तेरे को क्या बे, मैं हु तो हु, रामगोपाल बोला नहीं मैडम मैं तो आपका ड्राइवर हु, मैंने कहा अबे ड्राइवर क्यों साले कुछ और क्यों नहीं, तो राम बोल उठा आप जो कहेंगे मैडम मैं तो ड्यूटी पे हु, हां साले फिर मेरे बूर को चाट, मैं पी रही रही तो बस मेरे बूर को चाटता रह, मैं अपने लिए पेग बनाई और पी गयी, राम को अपने पास बुला के पेंटी खोल दी और उसका बाल पकड़ ले अपने बूर में सटा दिया वो चाटने लगा, मैं बहुत ही उत्तेजित हो चुकी थी, मैंने उसके सारे कपडे उतार दिया, और मैंने भी नंगी हो गयी,
पांच साल से चुदाई नहीं हुई थी इस्सवजह से मेरे शरीर का रोम रोम काँप रहा था लग रहा था जल्दी से चोद देता, मैंने राम को बेड पे पटक दिया और उसके छाती पे बैठ गयी और फिर सरक के उसके मुह पे अपना गीली छूट रख दी मैंने कहा चाट साले चाट मेरे चूत को, मेरा गोरा बदन मचल रहा था, मैं अपने हाथों से चूचियों को दबा रही थी, फिर मैंने सरक के निचे हो गयी, और उसका लौड़ा पकड़ के अपने बूर के मुहाने पे रखी और दबाब दे दी, पूरा लौड़ा मेरे बूर में समा गया था राम का लौड़ा काफी मोटा था लंबा था, फिर मैं गांड उठा उठा के चुदवाने लगी, बेड चू चू चू कर रहा था हरेक धक्के से, राम फिर जोश में आ गया वो मुझे पटक दिया निचे और मोटा लैंड मेरे मुह में डाल दिया, और अंदर बाहर करने लगा एक हाथ से वो मेरे बाल को पकड़ रखा था कभी कभी तो मेरे सांस रुक रहे थे क्यों की उसका लौड़ा मेरे कंठ तक आ रहा था.

उसने फिर अपना मोटा लंड मेरे गांड में घुसाने लगा, मैंने कहा राम दर्द हो रहा है, छोड दो अभी प्लीज, पर वो नहीं माना थूक लगा के वो मेरे गांड में अपना लंड घुसा दिया, फिर करीब पांच मिनट गांड मारने के बाद वो मेरे बूर में लंड घुसा दिया और चोदने लगा, मैं भी हाय हाय हाय कर रही थी और वो झटके दे रहा था फिर करीब ३० मिनट बाद वो मेरे बूर में सारा माल डाल दिया और हम दोनों साथ साथ सो गए, दूसरे दिन भी मैं आगरा में ही रही काम नहीं होने का बहाना कर के और रात दिन चुदाई करवाती रही, करीब ३६ घंटे में १० से १५ बार चुदवाई, फिर दिल्ली लौट आई नीरज अभी तब नहीं आया है गाँव से वो दिन में भी मेरे साथ सोता है, मैं भी खूब चुदवाती हु, पर मेरा मन भर गया है, मुझे कोई और लंड की जरूरत है, अगर आपको चाहिए तो निचे कमेंट करे मैं पर्सनल में आपसे बात करुँगी, ये मेरी सच्ची कहानी है आप को कैसा लगा निचे स्टार पे रेट जरूर करें|

Tuesday, 12 January 2021

भाभी की उदासी

दोस्तों अभी मैं एक जवान और सुंदर लड़का हूँ और साथ ही मेरा लंड भी किसी की भी चूत को संतुष्ट करने के लिए तैयार है। ये कहानी आज से कुछ 6 महीने पहले की है, में छुट्टियों में धार मध्यप्रदेश अपनी बुआ के घर गया हुआ था। मेरी बुआ धार मध्यप्रदेश में रहती है, उसके घर में मेरी बुआ का लड़का, उसकी बीवी, उसके दो छोटे-छोटे बच्चे रहते है। उनका कारोबार बहुत बड़ा है और उनका घर भी बहुत बड़ा है। मेरे जाते ही मेरी बुआ और मेरी भाभी बहुत खुश हो जाते है। मेरी भाभी मेरा बड़ा ही ख्याल रखती है, वो मेरी छोटी सी छोटी बातों का ख्याल रखती है। अब पहले में मेरी भाभी के बारे में आपको कुछ बता दूँ उसका नाम गीता है, वो इतनी सुंदर है कि उसको बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है, वो एकदम सफ़ेद है और उसके बूब्स एकदम कसे हुए और मस्त है, उन्हें देखते ही दबाने का मन करता है, वो जब चलती है तो उसकी गांड उछल- उछलकर निमंत्रण देती हो ऐसा लगता है। पहले मेरा नजरिया उसके प्रति ऐसा नहीं था

एक दिन की घटना ने मेरा उसकी तरफ देखने का नजरिया ही बदल दिया। मेरा भाई कुछ साल पहले ड्रिंक की आदत का शिकार हो चुका है। वो हर वक़्त शराब पीकर पड़ा रहता है तो इस वजह से मेरी बुआ के घर में सब लोग परेशान रहते है। फिर जब में छुट्टियों में वहाँ गया तो मुझे रात को सोने के लिए ऊपर का कमरा दिया गया, जिसके बगल में ही मेरे भाई भाभी का कमरा भी था।

फिर एक रात जब में ऊपर वाले कमरे में सो रहा था तो मेरा भाई (बुआ का लड़का) आया और ऊपर आकर बाहर बालकनी में सो गया। फिर तभी भाभी उसके पास आई और बैठ गयी। जब रात के यही 2-3 बजे होंगे। अब भाभी मेरे भैया से चिपककर बैठ गयी थी, लेकिन फिर भी मेरा भाई सो गया। तो करीब 30 मिनट के बाद मेरी भाभी मेरे कमरे से गुजरकर उसके कमरे में जाकर सो गयी। अब में तो ये देखकर कुछ समझ ही नहीं पाया था और कब मेरी नींद लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला।

फिर सुबह मुझे भाभी उठाने आई तो उसने मुझे बड़े प्यार से उठाया। फिर में फ्रेश होकर नीचे गया और फिर मैंने और भाभी ने साथ में नाश्ता किया, मेरा भाई अभी भी सो रहा था। फिर जैसे तैसे दोपहर हो गयी और फिर हमने साथ में खाना खाया और फिर में टी.वी देखने लगा। अब घर में सब सो रहे थे, अब में ड्रॉइग रूम में टी.वी देख रहा था। तो तभी मेरी भाभी आई और मेरे पास बैठकर टी.वी देखने लगी। अब वो कुछ उदास लग रही थी।

फिर मैंने उनसे पूछा कि आप उदास क्यों है? तो उसने कहा कि कुछ नहीं ऐसे ही। तो फ़ौरन मेरे मुँह से निकल गया कि कल रात की बात के कारण आप उदास है? तो मेरी भाभी कुछ नहीं बोली और मेरी तरफ देखने लगी और फिर उसकी आँखों में से आँसू टपक पड़े तो मैंने उसके आँसू पोछे और उससे पूछा कि क्या हुआ भाभी? आप मुझे तो बता सकती है। फिर उसने कहा कि तुमने कल रात तो देखा ना कि तुम्हारे भाई 2 बजे रात को आए और वैसे ही सो गये और में उसके पास गयी तो वो फिर भी मेरी तरफ ना देखते हुए सो गये। अब तुम ही बताओं में क्या करूँ?

अब में समझ गया था कि मेरी भाभी प्यार की भूखी है। फिर मैंने उनका एक हाथ मेरे हाथ में पकड़ा और बड़े प्यार से उसे दिलासा देते हुए पूछा कि भाभी, में आपकी कोई मदद कर सकूँ तो मुझसे जरूर कहना। फिर तभी भाभी ने पूछा कि तुम मेरे लिए क्या कर सकते हो? तो मैनें कहा कि कुछ भी, जो आप कहो अगर मेरी हेल्प से आपको कुछ राहत मिल सके तो मुझे बड़ी खुशी होगी। फिर वो हंसते हुए बोली कि ठीक है जब जरूरत पड़ेगी तो तुमसे कहूँगी, लेकिन फिर बदल ना जाना। 

फिर तभी मैंने कहा कि आप बोलकर तो देखिए। फिर वो किचन में चली गयी और सबके लिए चाय और नाश्ता बनाने लगी। फिर थोड़ी ही देर में सब उठ गये और चाय नाश्ता करने लगे। फिर जब रात हुई तो हम सब लोग छत पर सोने चले गये, क्योंकि गर्मी के दिन थे तो छत पर बड़ा मज़ा आता था। फिर रात में मेरी भाभी ने मेरा और उनका बिस्तर पास-पास में लगाया और हम सब सो गये। फिर देर रात में जब मेरी नींद खुली तो मेरी भाभी बिस्तर पर नहीं थी, तो में देखने के लिए उठा और उसे ढूंढते हुए उसके कमरे की तरफ चला गया।

फिर जब मैंने उसके कमरे के दरवाज़े को धक्का दिया तो वो खुल गया और अंदर का नज़ारा देखकर में वही थम गया। अब मेरे पैर वही चिपक गये थे। अब मेरी प्यारी भाभी कमरे में बिल्कुल नंगी होकर अपनी चूत की आग को शांत करने की कोशिश कर रही थी। अब वो अपने बूब्स दबा रही थी और दूसरे हाथ की उंगली से अपनी चूत को चोद रही थी। अब उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ थी इसलिए उसे पता नहीं था कि में उसे इस हालत में देख रहा हूँ।

फिर में उसके करीब गया और हल्के से उससे पूछा कि में कुछ मदद कर दूँ? तो मेरी आवाज सुनकर वो घबरा गयी और खुद को छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही। फिर मैंने उससे फिर से पूछा कि में कुछ मदद कर दूँ? तो उसने कहा कि नहीं, यह पाप है। तो मैंने कहा कि अरे भाभी जिस काम से किसी का भला हो उसे पाप नहीं कहते है। फिर उसने कहा कि अगर किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी होगी।

फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा, आप बस मुझ पर विश्वास रखिए और मुझे आपकी मदद करने की इजाजत दीजिए, फिर आगे में सब संभाल लूँगा और यह कहते हुए में उसके बूब्स सहलाने लगा और उसको किस करने लगा। फिर उसने खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन मैंने उसे छूटने नहीं दिया और अब में उसके पूरे बदन को चूमने और चाटने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद वो भी गर्म हो गयी और मेरा साथ देने लगी। अब मैंने उसके लिप्स चूमने शुरू कर दिए थे। अब वो भी मेरे होंठ चूमने लगी थी। फिर हमारा चुंबन यही कोई 10-15 मिनट तक चला। 

अब तब तक हम दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे। अब मेरा लंड मेरी चड्डी फाड़कर बाहर आने को तड़प रहा था। फिर मैंने जल्दी से खुद को नंगा किया और मेरा खड़ा हुआ लंड जो कि करीब 6 इंच का है, उसे देखकर मेरी भाभी की आँखें फटी की फटी रह गयी और उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। फिर करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद मेरा लंड लोहे की तरह कड़क हो गया। अब हम दोनों 69 पोज़िशन में आ गये थे और फिर मैंने भी उसकी चूत को चाटना शुरू किया।

फिर जैसे ही मैंने मेरी जीभ उसकी क्लीन शेव चूत पर लगाई तो वो सिसक उठी और अपने मुँह से अजीब-अजीब आवाज़ें निकालने लगी। फिर में 15 मिनट तक उसकी चूत को मेरी जीभ से चोदता रहा और वो मुझसे चुदवाती रही। अब इस 25-30 मिनट के फॉरप्ले के दौरान वो 2 बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत से पानी बह रहा था और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। फिर उसने मेरे लंड को पकड़कर खुद की चूत पर रख दिया और धीरे से बोली कि मेरे प्यारे देवर आज अपनी भाभी को खूब प्यार करो, मुझे अपनी बीवी बना लो और पूरी रात मेरे साथ प्यार करो। अब उसके मुँह से यह सुनकर मुझे भी जोश आ गया था और फिर मैंने एक धक्का मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया। उसकी चूत बहुत टाईट थी और उसकी चूत को देखने से ऐसा नहीं लगता था कि वो दो बच्चों की माँ है। फिर मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लगभग पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। अब उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी थी। फिर मैंने उसके लिप्स पर मेरे लिप्स रखकर उसे लिप किस करके एक और जोरदार धक्का मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की जड़ तक घुस गया और फिर में दनादन शॉट लगाने लगा। 

अब वो मेरी चुदाई से खुश होकर बड़बड़ा रही थी। फिर मैंने उससे पूछा कि भाभी मज़ा आ रहा है? तो उसने कहा कि मुझे भाभी मत कहो, मुझे गीता कहो, आज से में तुम्हारी भाभी सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए हूँ असल में तो अब में तुम्हारी बीवी बन चुकी हूँ, अब जब भी मर्ज़ी हो तुम मुझे चोद सकते हो, मेरी पूरी जवानी अब सिर्फ़ तुम्हारी है। अब ये सुनकर मेरे लंड को नया जोश आ गया था और अब में उसे बड़ी रफ़्तार के साथ चोदने लगा था। फिर करीब 30-35 की चुदाई के बाद मैंने मेरा लंड उसकी चूत में से बाहर निकाला और उसे घोड़ी बनाकर पीछे से उसकी चूत में एक ही झटके में अपना पूरा लंड घुसा दिया। अब वो मेरे इस हमले के लिए तैयार नहीं थी इसलिए चिल्ला उठी और बोली कि धीरे करो मेरे रोहन, में अब सिर्फ़ तुम्हारी ही हूँ और मुझ पर तुम्हारा पूरा अधिकार है, चोदो अपनी रानी को, ज़ोर से चोदो, आज इस चूत को फाड़ दो, इसने मुझे बहुत परेशान किया है। फिर में उसकी चूत 10 मिनट तक मारता रहा और फिर मैंने उसे उसके पलंग (बेड) के किनारे पर लेटा दिया।

अब उसके पैर जमीन पर थे। फिर में उसके दोनों पैरो के बीच में आ गया और उसे चोदने लगा। अब वो नीचे से उछल-उछलकर मुझसे चुदवा रही थी और अज़ीब सी हमममममममम, ऊओह, जोर से, सीईई चोदो जैसी आवाज़ें निकाल रही थी। फिर जब 1 घंटे की चुदाई के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने पूछा कि गीता अब में झड़ने वाला हूँ, बोल मेरी रानी में मेरा वीर्य कहाँ निकालूं? तो उसने कहा कि ये भी कोई पूछने की बात है? एक पति अपना वीर्य अपनी बीवी की चूत में ही डालता है और तुम मेरे पति हो, अपना वीर्य मेरी चूत में ही गिरा दो

फिर कुछ ही धक्को के बाद मैंने मेरा सारा पानी उसकी चूत में ही डाल दिया और अपना लंड उसकी चूत में ही डाले हुए पड़ा रहा। अब मेरी 1 घंटे की चुदाई में मेरी गीता की चूत 7-8 बार झड़ चुकी थी। फिर उसने कहा कि मेरे रोहन अब तुम मुझे जब भी मौका मिले जरूर चोदना, में तुमसे चुदवाने के लिए हर वक़्त तैयार हूँ। फिर मैंने कहा कि जरूर मेरी गीता रानी, तुमको चोदने के लिए में भी हर वक़्त तैयार हूँ और फिर हम एक दूसरे को सहलाने लगे और फिर मैंने उसे मेरी बाहों में उठा लिया और उसे लेकर बाथरूम में चला गया।

फिर हम दोनों ने वहाँ एक-दूसरे को साफ किया। अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था तो मैंने गीता को बाथरूम में लेटाकर फिर से 25-30 तक चोदा। फिर हम दोनों ऊपर आ गये और सो गये। फिर दूसरे दिन सुबह गीता मुझे उठाने आई और बोली कि रात को ज़्यादा मेहनत की इसलिए थक गये क्या? तो मैंने उसे स्माइल देते हुए कहा कि नहीं मेरी रानी, में थकने वाला नहीं हूँ। फिर हम दोनों नीचे आ गये और फ्रेश होकर चाय-नाश्ता किया।

लॉकडॉउन में किरायेदारनी भाभी को चोदा

मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आपको आज अपनी आपबीती देसी हॉट भाभी चुत चुदाई कहानी सुनाने जा रहा हूं. यह घटना मेरे साथ इसी लॉकडॉउन के समय में हुई थी. मुझे सेक्सी भाभी की चुदाई करने का बहुत शौक है.

अब मैं बिना अधिक समय लिए अपनी कहानी शुरू करता हूं. मेरा नाम संजय है और मेरी उम्र 26 साल है. मेरी हाइट 5 फीट 7 इंच है. चेहरा गोल है और जब मैं हंसता हूं तो मेरे गालों पर गड्ढे हो जाते हैं. कहने का मतलब है कि मेरी मुस्कान सबको आकर्षित करती है.

मेरी शादी हो चुकी है और मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं. हमने अपने मकान को किराये पर चढ़ाया हुआ है जिसमें नीचे वाले फ्लोर पर एक डॉक्टर का परिवार रहता है. कोरोना काल में मेरे सारे घर वाले गांव चले गये थे. बीवी मायके चली गयी थी.

फिर मुझे ही घर की देखभाल के लिये यहां रुकना पड़ा. नीचे वाले परिवार के डॉक्टर भैया रोज काम पर चले जाते थे और भाभी घर पर रहती थी. भाभी के पास तीन साल का एक बेटा है.

भाभी की जवानी की तारीफ में मैं क्या बताऊं कि वो कितनी सुंदर है. भाभी के लम्बे लम्बे काले बाल हैं जो उसके गोरे चेहरे को और अधिक आकर्षक बनाते हैं. उसके गाल एकदम टमाटर की तरह लाल रहते हैं. होंठ जैसे गुलाब हों.

जब भाभी मुस्कराती है तो जैसे आसमान से बिजली गिरती है. उनके रूप को जो कोई एक बार देख ले तो भाभी का दीवाना हो जाये. मैं भी उनके दीवानों में से एक था.

एक दिन की बात है कि मैं अपने रूम पर खाना बना रहा था. खाने बनाते हुए मैंने पाया कि हल्दी खत्म हो गयी थी. मैंने सोचा कि दुकान पर जाने में बहुत समय लग जायेगा इसलिए नीचे वाली भाभी से ही ले लेता हूं.

मैं नीचे उतरकर भाभी के पास गया. उसने उस वक्त एक नाइटी पहनी हुई थी जिसमें उसकी गोल गोल गांड साफ साफ उभरी हुई थी.
वो मेरे पास आई और पूछने लगी.
तो मैंने कहा- थोड़ी हल्दी दे दो.

वो बोलीं- ठीक है, तुम रुको, मैं लेकर आती हूं.
मैंने पूछा- भाई साहब दिखाई नहीं दे रहे?
वो बोलीं- नहीं, वो एक दो दिन से वहीं हॉस्पिटल में ही रुक जाते हैं. कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है इसलिए काम भी ज्यादा हो गया है.

इतने में भाभी बोली- मैंने चाय अभी बनाई थी. पी लो तुम भी?
मैंने कहा- मगर भाभी मैं अभी खाना बना रहा हूं और फिर खाने का समय हो जायेगा.
वो बोलीं- कोई बात नहीं, खाना थोड़ी देर से खा लेना. मैंने ज्यादा बना दी है और फिर ये बेकार में फेंकनी पड़ेगी.

मैं भाभी की बात टाल न सका और चाय पीने बैठ गया. वो चाय लेकर आई और हम दोनों साथ में चाय पीने लगे. फिर बातें शुरू हुईं. भाभी मेरी बीवी के बारे में पूछने लगी तो मैंने कह दिया कि वो अपने मायके गयी हुई है.

वो बोलीं- घर में अकेले बोर नहीं होते तुम?
मैंने कहा- भाभी होता तो हूं लेकिन अब जायें कहां, बाहर घूमना फिरना तो वैसे ही बिमारी के खतरे से खाली नहीं है.
भाभी- तो फिर सारा दिन क्या करते हो?

मैं- भाभी बस ऐसे ही कभी टीवी देख लेता हूं तो कभी फोन में टाइम पास कर लेता हूं.
वो बोलीं- मुझे बबीता कहने में तुम्हें शर्म आती है क्या?
मैं- नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है!

वो बोलीं- फिर भाभी!
मैंने कहा- सॉरी बबीता.
भाभी- अकेले खाना बनाकर क्या करोगे, यहां मैं बना तो रही हूं, तुम भी यहीं खा लेना!

भाभी के मुंह से ये शब्द सुनकर जैसे मेरे मन में गुदगुदी सी होने लगी. वो खुद मुझे उसके पास आने का न्यौता दे रही थी. उसकी बातों से लग रहा था कि वो जरूर कुछ न कुछ कहना चाहती है लेकिन कह नहीं पा रही है.

फिर मैंने कहा- ठीक है, आपकी बात भी सही है, मैं अकेला क्या खाना बनाऊंगा, यहीं पर आपके साथ ही खा लूंगा.
वो बोलीं- ठीक है, फिर ठीक 9 बजे आ जाना. तब तक मैं सारी तैयारी कर लेती हूं.

मैंने कहा- ठीक है बबीता भाभी, मैं ठीक 9 बजे आ जाऊंगा.
इतना बोलकर मैं वापस ऊपर आ गया. मेरे मन में लड्डू से फूट रहे थे कि आज तो जरूर कुछ न कुछ कांड होने ही वाला है.
मेरा लंड बार बार भाभी की गांड के बारे में सोच सोचकर खड़ा हो रहा था.

ठीक 9 बजे मैं भाभी के यहां पहुंच गया. मैंने बेल बजाई तो भाभी झट से दरवाजे पर आ गयी.
वो बोली- अंदर आ जाओ, खाना तैयार है.

मैं अंदर गया तो उनका बेटा सो चुका था.

नाइटी में अंदर भाभी ने शायद कुछ नहीं पहना था. भाभी की चूचियां दायें बायें नाच रही थीं. उनकी डोलती चूचियों को देखकर ही मेरा लंड तनाव में आने लगा.

कुछ ही देर में भाभी ने मेज पर खाना परोस दिया.
फिर वो भी कुर्सी पर आ बैठीं और बोलीं- चलो शुरू करते हैं.
हम दोनों खाना खाने लगे.

मैंने पूछा- भाभी, कई दिनों से भैया घर पर नहीं आ रहे हैं, रात में आपको अकेले इस तरह से डर नहीं लगता है?
वो बोली- नहीं, उनका होना न होना अब बराबर सा ही लगता है.
मैंने कहा- क्यूं भाभी, ऐसा क्यों बोल रही हो?

भाभी ने इस बात का कुछ जवाब नहीं दिया. उनकी बातों से लग रहा था कि उनके पति-पत्नी के रिश्ते में जरूर कुछ ठीक नहीं चल रहा.
फिर हिम्मत करके मैंने पूछ ही लिया- भाभी, आप मुझे अपना दोस्त समझ कर बता सकती हो, मैं आपकी समस्या सुलझाने की कोशिश करूंगा. आप मुझे बताइये कि क्या बात है?

वो बोलीं- एक तो समय ही ऐसा चल रहा है. वो पूरा दिन अस्पताल में रहते हैं. घर आते हैं तो इतने थके होते हैं कि नजर उठाकर भी नहीं देखते. मैं उनके करीब जाने की कोशिश करती हूं तो संक्रमण का खतरा बताकर टाल देते हैं.

अब तक भाभी अपना खाना खत्म कर चुकी थी और मेरा खाना खत्म होने का इंतजार कर रही थी. मेरी थाली में भी दो निवाले ही बचे थे. मैंने बीच में ही भाभी के हाथ पर हाथ रख दिया और कहा- भाभी, आप परेशान मत होइये, मैं हूं आपके साथ.

वो बोलीं- पहले तो तुम मुझे ये भाभी कहना बंद करो.
मैंने कहा- सॉरी बबीता, तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो.
वो बोलीं- तो ठीक है, तो फिर आज रात को यहीं क्यों नहीं रुक जाते मेरे पास? मैं घर में अकेली होती हूं तो बहुत डर लगता है.

भाभी के मुंह से ये बात सुनकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया. भाभी साफ साफ मुझे अपने पास सुलाने का इशारा कर रही थी या यूं कहें कि मेरे से चुदवाने का इशारा था वो.

मैंने कहा- ठीक है. मैं जरा ऊपर जाकर मेन डोर को बंद कर आता हूं.
वो बोली- ठीक है, जल्दी आना, मैं इंतजार कर रही हूं.
भाभी के शब्दों में एक प्यास सी थी. मेरा लंड मेरी लोअर में पूरा अकड़ गया था.

मुश्किल से लंड को टीशर्ट के अंदर छुपाकर मैं उठ कर गया. मगर भाभी की नजर मेरे लौड़े के आकार को देख चुकी थी. उसके होंठों पर एक कातिल सी मुस्कान फैल गयी थी.

मैं जल्दी से ऊपर वाले फ्लोर का गेट लॉक करके आ गया.
नीचे आया तो भाभी ने छोटा मोटा बचा हुआ काम निपटा लिया था. उसने मैक्सी उतार कर एक शॉर्ट नाइट ड्रेस पहन ली थी जो फ्रॉक जैसी थी और उसकी जांघों तक ही आ रही थी.

भाभी के इस सेक्सी रूप को देखकर मेरी तो लार टपकने लगी. वो भी मेरी नजरों की हवस को समझ गयी थी. उसने मुझे रूम में चलने के लिए कहा. मैं बेडरूम की ओर बढ़ा तो वो भी पीछे पीछे आने लगी.

रूम में मैं अंदर गया और पीछे से भाभी ने दरवाजा बंद कर दिया. मैं वहीं दरवाजे के पास खड़ा था और भाभी भी मेरे करीब आकर खड़ी हो गयी. वो मेरे चेहरे को देखने लगी. मैं भी उसकी आंखों में देखने लगा.

प्यास दोनों तरफ ही लगी थी लेकिन दोनों ही जैसे पहल होने का इंतजार कर रहे थे. फिर एकदम से दोनों ही एक दूसरे की ओर बढ़े और हमने एक दूसरे को बांहों में भरकर किस करना शुरू कर दिया.

भाभी के रसीले होंठों से होंठ मिलाकर मैं उसको जोर जोर से चूसने लगा. वो भी जैसे पागलों की तरह मुझे किस करने लगी. मेरे हाथ सीधे भाभी की गोल गोल गांड पर पहुंच गये. मैं उसके चूतड़ों को कस कर भींचने लगा.

इधर भाभी का हाथ मेरी लोअर के ऊपर आकर मेरे लंड को मसलने लगा. अगले ही पल भाभी ने मेरी लोअर में हाथ डाल दिया और मेरे लंड को हाथ में भरकर उसकी चमड़ी को आगे पीछे करने लगी. वो मेरे लंड को सहलाने लगी और मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा.

सेक्सी भाभी की कड़क चूची मेरे हाथ में आईं तो मैंने उनको जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया. हम दोनों बेतहाशा एक दूसरे के होंठों को चूस चूस कर खा रहे थे. उसने मेरी लोअर को नीचे खींच दिया था और मुझे जांघों तक नंगा कर लिया था.

अब भाभी के हाथ कभी मेरे लंड की मुट्ठ मारते तो कभी मेरी गोटियों को सहलाने लगते. मैंने भी देसी हॉट भाभी की नाइटी को ऊपर खींचकर निकलवा दिया. भाभी का सेक्सी फिगर देखकर मैं तो पागल हो गया. 34-30-32 का उसका फिगर सच में कहर बरपा रहा था.

उसकी चूची इतनी टाइट थी कि दबाकर लग रहा था कि डॉक्टर साहब ने ठीक से कुछ किया ही नहीं था। मैं दोनों हाथों से उसकी नंगी चूचियों को भींचने लगा और भाभी सिसकारने लगी.

फिर मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया. जैसे ही मेरा मुंह उसकी चूची पर लगा तो वो जोर से सिसकारी- आह्ह … संजय … चूस ले इनको … बहुत दिनों से इनको किसी ने नहीं पीया है … इनका दूध निचोड़ ले आज … आह्ह … जोर से पी।

मैं भाभी की चूचियों को ऐसे पीने में लगा था जैसे कि उनमें से अमृत निकल रहा हो. उसकी सिसकारियां हर पल तेज होती जा रही थीं. फिर अचानक वो अलग हुई और उसने मेरी लोअर को नीचे तक खींच दिया.

लोअर को मैंने अपनी टांगों से भी खींचकर निकाल दिया. अब भाभी मेरी टीशर्ट पर झपट पड़ी और मेरी टीशर्ट को निकाल कर मुझे भी पूरा नंगा कर लिया. हम दोनों फिर से एक दूसरे से चिपक कर होंठों को चूसने लगे.

कुछ देरे नंगे चिपके हुए किस का मजा लिया और फिर मैंने भाभी को गोद में उठा लिया और बेड पर ले जाकर पटक दिया. मैं देसी हॉट भाभी की चूचियों पर टूट पड़ा और जोर जोर से पीने लगा.

मेरे सिर को भाभी ने पकड़ कर नीचे की ओर धकेल दिया और अपनी चूत के पास ले गयी. मैं समझ गया कि भाभी क्या चाह रही थी. मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी फूली हुई चूत को जीभ से चाटना शुरू कर दिया.

भाभी की चूत पर मेरी जीभ लगी तो वो जोर से सिसकार उठी- आह्ह … संजय … चोद दे इसे अपनी जीभ से … आह्ह … चाट चाट कर खा जा इसको … इसमें बहुत प्यास लगी है. आह्ह … चूस … और जोर से चूस!

मैंने भाभी की चूत में जीभ अंदर दे दी और जोर जोर से उसकी चूत को चोदने लगा. भाभी एकदम से पागल हो गयी और बेड की चादर को मुट्ठी में भरकर खींचने लगी.

भाभी की चुदास देखकर मैं और जोर से उसकी चूत में जीभ चलाने लगा.

अब मेरा लंड भी तनाव के कारण दर्द करने लगा था.
मैंने चूत से जीभ निकाली और भाभी की चूचियों पर गांड टिकाकर लंड उसके मुंह के सामने कर दिया.
वो बोली- नहीं, मैं मुंह में नहीं लूंगी. मुझे गंदा लगता है.
मैंने कहा- प्लीज भाभी … बहुत तड़प रहा है.
उसने फिर भी ना में ही गर्दन हिलायी.
मैंने कहा- प्लीज … बबीता … एक बार चूस लो, मेरी खुशी की खातिर.

फिर देसी हॉट भाभी ने मुंह खोला और गर्दन ऊपर उठाकर लंड को चूसने लगी. मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा. मैंने पीछे हाथ ले जाकर भाभी की चूत में उंगली से कुरेदना शुरू कर दिया.

भाभी की चूत बेपनाह पानी छोड़ रही थी. मेरी उंगली की वजह से चूत में पच पच की आवाज होने लगी.
जब उससे रहा न गया तो लंड को मुंह से निकाल कर बोली- बस … अब चोद दे संजय … जान निकालने का इरादा है क्या … जल्दी चोद … फक मी संजय … प्लीज फक मी।

मैंने उसकी टांगों को चौड़ी फैला दिया. फिर लंड का टोपा उसकी चूत के मुंह पर रखा. उसकी चूत को देखकर लग रहा था कि डॉक्टर साहब ने ज्यादा कष्ट नहीं दिया इसे. चूत टाइट सी लग रही थी.

फिर मैंने लंड टिकाकर चूत में धक्का मारा तो भाभी की दर्द भरी आह्ह … निकल गयी लेकिन वो दर्द को बर्दाश्त कर गयी. मैंने फिर से एक धक्का मारा और अबकी बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में घुस गया.

भाभी दर्द से कराह उठी- आह्ह … आईई … इतना मोटा है … उफ्फ … नहीं लिया जा रहा संजय … ये तो सच में फाड़ देगा मेरी चूत को … निकाल ले बाहर.

मैंने कहा- बस भाभी … थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो … बस जाने ही वाला है.
ये कहकर मैंने एक धक्का और मारा तो भाभी जैसे बदहवास सी हो गयी. मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. कहीं वो बेहोश न हो जाये इसलिए भाभी की टाइट चूत में लंड को अंदर बाहर करके हिलाने लगा.

वो दर्द से कराहती रही और देखते ही देखते कुछ देर में उसकी कराहटें सिसकारियों में बदल गयीं. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मेरी गांड पर टांगें लपेट कर चुदने लगी.

बस फिर तो हम दोनों कहीं अपनी ही दुनिया में खो गये. मैं भाभी की चूत में धीरे धीरे लंड को पेलते हुए चुदाई का मजा लेता रहा. भाभी भी मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी गांड उचका कर लंड को लेती रही.

फिर मैंने स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से उसकी चूत को पेलने लगा. भाभी फिर से चीखने लगी लेकिन अबकी बार उसकी चूत लंड को जैसे खा जाने के मूड में आ गयी थी. वो पूरी ताकत लगाकर लंड के धक्कों को झेल रही थी.

बीच बीच में भाभी अपनी चूत में मेरे लंड को कस लेती थी जिससे मैं स्वर्ग में पहुंच जाता था. उसकी चूत में लंड को पेलते हुए मैं उसकी चूचियों को पीता रहा. वो भी चुदवाती रही.

चुदवाते हुए देसी हॉट भाभी बड़बड़ा रही थी- आह्ह … संजय … शादी को इतने साल हो गये हैं … मगर चुदाई का असली मजा आ पहली बार आया है … ओह्ह … मैं तो मर ही जाऊंगी … चोद दे … आह्ह … फाड़ दे … आह्ह … और जोर से चोद।

मैं पूरी ताकत झोंक कर भाभी की चूत को फाड़ने लगा. अब मेरा लंड भी जवाब देने वाला था. मैंने 10-12 धक्के जोर से लगाये और मेरे लंड का लावा भाभी की चूत में गिरने लगा. साथ ही बबीता भाभी भी झड़ने लगी.

सारा माल चूत में गिराकर मैं भाभी के ऊपर हांफता हुआ गिर गया. हम दोनों के बदन पसीना पसीना हो गये थे. भाभी को चरम सुख की प्राप्ति हो गयी थी. लग रहा था कि जैसे उसने नशा कर लिया है. फिर हम दोनों अलग हो गये.

हमने पानी पीया और आराम करने लगे. उसके कुछ देर बाद फिर से दोनों चूमा चाटी में लग गये और फिर से गर्म हो गये. उसके बाद रात में चुदाई के तीन राउंड और हुए. भाभी की चूत को चोद चोदकर मैंने उसको सुजा डाला.

भाभी मेरे लंड की फैन हो गयी. उसके बाद जब तक भैया की ड्यूटी रही हम चुदाई का मजा लेते रहे. फिर रात को भाईसाहब घर आकर ही सोने लगे. मगर भाभी मेरे लंड से चुदाई का मौका ढूंढ ही लेती थी.

आज भी मैं देसी हॉट भाभी की चुदाई का पूरा मजा लेता हूं. किसी न किसी तरह से भाभी मौका देखकर मुझे बुला लेती है और मैं भाभी की चूत को जमकर बजाता हूं. वो अब बहुत खुश रहने लगी है.

पड़ोस वाली भाभी की टाइट चूत का मजा

चुदासी पड़ोसन भाभी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं भाभी के घर गया. भाभी नंगी बाथरूम में नहा रही थी. मुझे भाभी के रूम में सेक्स कहानियों की किताब मिली. फिर क्या हुआ?

दोस्तो, मेरा नाम अंकित है. यह मेरी सच्ची चुदासी पड़ोसन भाभी चुदाई स्टोरी है जो मैं आपके लिए लेकर आया हूं.
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर मुझे काल्पनिक लगती हैं, मगर कुछ कहानियां रियल भी होती हैं.

मैं आपको अपने साथ हुई वास्तविक घटना बताऊंगा.

बात दो साल पहले की है जब मैं अपनी फैमली के साथ एक अपार्टमेंट में रहता था. हमारे पड़ोस में एक भाभी रहती थी जिनका नाम वैशाली (बदला हुआ नाम) था.

उनके फिगर की बात करूं तो कुछ खास नहीं था.
पर उनकी गांड बहुत मस्त थी जिसे देखकर मैंने कई बार मुठ्ठी मारी थी.

मेरे परिवार के साथ उनकी अच्छी बातचीत होती थी. उनके घर में जाने में मुझे कोई संकोच नहीं होता था. मैं कई बार बिना बोले भी चला जाया करता था.

ऐेसे ही एक दिन मैं भाभी के यहां कुछ सामान लेने के लिए गया था.
मुझे बाहर कोई नहीं दिखा तो मैं सीधा अंदर ही चला गया.

अंदर जाकर मैंने भाभी को ढूंढते हुए आवाज लगाई.
भाभी ने अंदर से आवाज दी- हां अंकित, मैं नहा रही हूं. तुम बैठ जाओ जाकर, मैं थोड़ी देर में आती हूं.

उन्होंने मुझे बैठने को तो कह दिया लेकिन भाभी के नंगे जिस्म के बारे में सोचकर मेरा लंड उठ गया था.

अब सेक्सी भाभी बाथरूम में नहा रही हो और मैं आराम से बैठ जाऊं? ऐसा नहीं हो सकता था.
कामवासना के वशीभूत होकर मैंने अंदर झांकने की ठान ली.

मैं धीरे से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और अंदर झांकने की कोशिश करने लगा.
छेद से मैंने देखा कि भाभी बाथ टब पर बैठ कर हंड शॉवर को अपनी चूत पर रगड़ रही थी और अपनी आंखें बंद किए अपने बूब्स मसल रही थी.

ये नजारा इतना कामुक था कि बता नहीं सकता.

मैंने अन्दर देखते हुए अपनी जिप खोली और अपना लन्ड मसलने लगा.
भाभी के चेहरे पर कामवासना तैरती हुई साफ नजर आ रही थी.
ऐसा लग रहा था जैसे वो लंड से चुदकर मजा ले रही हो.

मैं भी जोर से अपने लंड की मुठ मारने में लगा हुआ था.

देखते देखते भाभी थोड़ा अकड़ने लगी. उसके बदन में झटके से लगे और वो फिर बिल्कुल रुक गयी.
शायद वो झड़ चुकी थी.

फिर उठकर वो अपने आपको साफ करने लगी.

उसकी नंगी गांड को देख कर मन कर रहा था कि दरवाजा खोल सीधा अंदर घुसूं और उसको वहीं पर झुका कर घोड़ी बना लूं और बाथरूम में ही गांड चुदाई कर डालूं उसकी.

मगर फिर भाभी जल्दी से अपने बदन को पौंछने लगी.
मैंने वहां खड़ा रहना ठीक न समझा और अपने तने हुए लंड को जिप के अंदर ही ठूंस लिया.

फिर मैं उसको टीशर्ट के नीचे दबाकर वहां से चला गया और बेड पर जा लेटा.

अचानक मेरा हाथ भाभी की साड़ी पर लगा.
मुझे महसूस हुआ कि नीचे कुछ बुक सी रखी हुई थी. मैंने साड़ी उठाकर देखी तो सच में नीचे एक बुक रखी हुई थी.

वो किताब कोई साधारण किताब नहीं थी बल्कि सेक्स कहानियों की किताब थी.

मैं किताब को खोलकर देखने लगा तो उसमें विदेशी लौड़े गोरी चूतों में घुसे हुए थे और साथ में सेक्सी कहानियां भी लिखी हुई थीं.

किताब देखने में मैं जैसे खो ही गया.

कुछ तो मैं थोड़ी देर पहले नंगी भाभी देखकर आया था और लंड पहले से ही तना हुआ था.
किताब में नंगी लड़कियों की फोटो देखकर मैंने फिर से लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

लंड को सहलाते हुए जैसे मैं भूल ही गया था कि मैं भाभी के रूम में हूं.

फिर अचानक से भाभी आ धमकी और उन्होंने मुझे किताब देखकर लंड सहलाते हुए देख लिया.

वो झट से मेरे करीब आई और बोली- अंकित, क्या देख रहा है, इधर दे इसे!
इतना कहकर भाभी ने मेरे हाथ से किताब ले ली और उनका चेहरा शर्म से लाल हुआ जा रहा था.

किताब को लेकर वो एक ओर रखने के लिए जाने लगी तो मैंने कहा- वाह भाभी … बहुत ही रोचक किताबें पढ़ते हो?
वो थोड़ी हड़बड़ाते हुए बोली- क्यूं? तुम नहीं पढ़ते हो क्या?

मैं बोला- हां पढ़ता हूं भाभी! मैं तो अन्तर्वासना पर मजेदार ऑनलाइन हिन्दी सेक्स कहानियां भी पढ़ता हूं. मगर आज तो मेरा मन कर रहा है कि आपके साथ ही पढूं.
भाभी- बताऊं क्या? थप्पड़ पड़ेगा. चल अभी, मुझे कपड़े पहनने दे.

मैं बोला- भाभी थोड़ी देर दो ना किताब, आप कपड़े पहन लो तब तक!
भाभी- नहीं, चल बाहर निकल तू रूम से.

मैं- नहीं भाभी, किताब दो मुझे.
इतना बोलकर मैं भाभी से किताब छीनने की कोशिश करने लगा.

छीना झपटी में भाभी के बदन पर लिपटा हुआ तौलिया खुल गया और भाभी मेरे सामने ब्रा पैंटी में खड़ी रह गयी.

उन्होंने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया.

एक हाथ सीने पर रखकर मेरी ओर गुस्से से देखकर बोली- तू बहुत बिगड़ गया है अंकित, तेरी शिकायत करूंगी मैं तेरी मां से! पकड़ ये किताब!
इतना बोलकर वो टावल उठाने लगी.

मैं भाभी के स्तनों को घूर रहा था. भाभी के स्तन उसकी ब्रा से बाहर छलकने को हो रहे थे.
वो टावल उठाते हुए बोली- ऐसे क्या देख रहा है, कभी लड़की नहीं देखी क्या?

मैं बोला- देखी है भाभी, लेकिन आप जैसी नहीं.
वो बोली- क्यूं, मेरे में ऐसा क्या है, तूने क्या देख लिया ऐसा?
मैं बोला- अभी अभी बाथरूम में देखा है.

वो मेरी ओर हैरानी से देखकर बोली- क्या??? हरामी … क्या देखा है तूने? सच बता मुझे?
मैं बोला- जो देखने लायक होता है औरत में, वो सब देख लिया.

भाभी खिसियाकर मेरी ओर भागी और मैं उसके आगे आगे भागने लगा.

मैं हॉल में चला गया और भाभी अपने तौलिया को लपेटने की कोशिश करते हुए अपने उछलते चूचों के साथ मेरा पीछा कर रही थी.

वो बोली- रुक तू … मैं बताती हूं तुझे. बहुत बदमाश हो गया है.
मैंने कहा- कहां बताओगी? अंदर बाथरूम में?
इतना बोलकर मैं जोर जोर से हंसता हुआ भाग रहा था.

फिर भाभी थक गयी और हम वापस रूम में हांफते हुए आ गये.

मौका देखकर मैंने बोला- भाभी मजाक बहुत हो गया. अब थोड़ी देर साथ में बैठकर पढ़ते हैं.
भाभी जान गयी कि ये नहीं मानने वाला.
वो बोली- चल ठीक है, पढ़ ले.

फिर वो तौलिया लपेट कर मेरे साथ बेड पर बैठ गयी.
हम दोनों हिन्दी सेक्स कहानियों की किताब पढ़ने लगे.

किताब में भाभी देवर की चुदाई चल रही थी. पढ़ते पढ़ते मेरा लंड खड़ा होने लगा.
भाभी तिरछी नज़र से मेरा लन्ड देख रही थी.

मैं भी जान गया था कि भाभी मेरे लंड पर नजर बनाये हुए है.

ये देखकर मेरा लंड और ज्यादा तनाव में आ गया और पूरा आकार ले लिया.
मेरा लंड मेरी पैंट में उछलने लगा था.

जब भाभी से रहा न गया तो वो बोली- अंकित … तेरा कितना बड़ा है रे!
मैं बोला- आप खुद ही देखकर पता कर लो ना भाभी … मैंने तो कभी नापा नहीं है.
वो बोली- हट … बदमाश।!

भाभी बात पलटने लगी तो मैंने धीरे से अपना एक हाथ भाभी के बूब्स पर रख दिया और धीरे से दबा कर कहा- देख कर बताओ ना भाभी … मुझे भी तो पता चले कि मेरा कितना बड़ा है.

तो भाभी ने धीरे से हाथ मेरे लौड़े पर रखा तो लौड़ा पूरे जोश में उछल गया.
मैंने भाभी के हाथ को अपने लौड़े पर दबा दिया.
वो एकदम से सिहर सी गयी.

मैंने मौका पाया और उसी वक्त उसका टावल खींच दिया.

फिर मैंने ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स मसल दिए और उन्होंने कसमसाकर मुझे पकड़ लिया.
भाभी ने मेरे लौड़े को अब कसकर दबा दिया और उसको भींच लिया अपनी मुठ्ठी में.

जोश अब मुझे भी चढ़ गया था और मैं हवस में चूर होकर बोला- हाय … भाभी … ऊपर से ही दबाओगी या बाहर भी निकालोगी इसे?
कहते हुए मैंने भाभी की चूची को निप्पल के पास से कसकर भींच दिया.

भाभी को भी लंड देखने की आग लगी हुई थी.
उसने मेरी लोअर को खींच दिया और मेरे अंडरवियर का तंबू उसके सामने था.

भाभी की नजरें हैरानी से भर गयीं.
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और अपने कच्छे में अंदर घुसाकर उसके हाथ में लंड पकड़ा दिया.

भाभी एकदम से सकपका गयी. मेरा लौड़ा एकदम से गर्म होकर जैसे तप रहा था. भाभी की आहें निकलने लगीं. वो मेरे लंड की मुट्ठ मारने लगी.

फिर मैंने कच्छे को पूरा ही निकाल दिया और अब मेरा लंड बाहर आकर भाभी के हाथ में था. उसका सुपारा एकदम से लाल हो गया था और छोटी गेंद जैसा आकार ले चुका था.

वो बोली- हाय बाप रे … इतना बड़ा? तेरा तो बहुत बड़ा है अंकित।
मैं बोला- नहीं वैशाली भाभी. ये मेरा नहीं है, ये तो अब आपका है.
वो मेरी बात सुनकर मुस्करा दी.

अब मैं रुक नहीं सकता था और मैंने सीधे अपने होंठ भाभी के होंठों पर रख दिये और उसके सिर के पीछे हाथ ले जाकर उसको किस करने लगा.
वो मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी.
दोनों ही सेक्स के लिए गर्म होने लगे.

अब मैं उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा.
हुक खोलकर मैंने उसको उतार दिया और भाभी के गोल मोटे स्तन मेरे सामने झूल गये.

मैंने तुरंत भाभी के मुंह से जीभ निकाली और एक स्तन पर रख दी.
मैं एक चूचे को चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा.

भाभी ने अपनी छाती और आगे कर दी और मुझे आगे होकर अपने बूब्स पिलाते हुए सिसकारने लगी- आह्ह … अंकित जोर से चूस … आह्ह … मेरे चूचे … पी जा इनको … इनका दूध निकाल ले चूस चूसकर!

काफी देर तक मैंने बूब्स को चूसा और वो मेरे लंड की मुट्ठ मारती रही.
फिर मैं बोला- भाभी इसको हाथ से हिलाती रहोगी या होंठों का प्यार भी दोगी?

वो समझ गयी और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैं बोला- अपनी टांगें मेरी ओर करके चूसो.

भाभी और मैं लेट गये और भाभी की टांगें मेरी ओर आ गयीं.
उनकी पैंटी के बीच में गीला धब्बा हो गया था.

इतने में भाभी ने मेरे लंड को फिर से चूसना शुरू कर दिया.
अब मैंने उनकी पैंटी पर लगे रस को चाटा और फिर पैंटी को नीचे खींच दिया.
आह्ह … भाभी की लाल चूत मेरे सामने नंगी हो गयी.

मेरे तो मुंह में पानी आ गया और झट से मैंने भाभी की चूत में जीभ देकर उसे चूसना शुरू कर दिया.

हम दोनों 69 की पोजीशन में चुसाई का मजा लेने लगे.
मैं उनकी चूत चाटने लगा और साथ ही उनकी गांड में उंगली भी करने लगा.
दस मिनट चूसने और उंगली करने के बाद भाभी का बदन एकदम से अकड़ गया और उसकी चूत ने मेरे मुंह में पानी छोड़ दिया.

फिर मैंने उसको घोड़ी बना लिया और उसके सामने घुटनों पर आ गया.

मैं उसके मुंह में लंड देकर धक्के मारने लगा और उसके मुंह को चोदने लगा.
दो मिनट के बाद मेरा वीर्य भी भाभी के मुंह में निकल गया और वो उसको सारा का सारा अंदर ही पी गयी.

फिर हम कुछ देर शांत होकर लेटे रहे. उसके बाद भाभी फिर से मेरे लंड को सहलाने लगी.

मैंने उसके चेहरे को अपनी ओर किया और उसको किस करने लगा.
वो भी मेरा साथ देने लगी.

फिर मैं बोला- भाभी अब मुझे आपकी मारनी है, अब नहीं रुका जायेगा.
वो बोली- ठीक है. मार ले. पहले चूत मार ले और फिर गांड.

भाभी की गांड चुदाई का नाम सुनकर मैं तो हक्का बक्का रह गया.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा.

भाभी थोड़ी घबरा कर बोली- आराम से करना, तेरे लंड के हिसाब से मेरी चूत काफी छोटी है. एकदम से नहीं ले पाऊंगी.
मैं बोला- ठीक है जान … आराम से करूंगा … बहुत प्यार से।

मैंने भाभी को लिटाया और उनके ऊपर आ गया. मैं भाभी की चूत पर लंड को रखकर रगड़ने लगा.

वो मस्त हो गयी और सिसकारने लगी- आह्ह अंकित … ऐसे क्यूं आग लगा रहा है मेरी चूत में?
मैं बोला- भाभी जान … चूत में आग लगेगी तभी तो पानी डालने का मजा है.

भाभी- तो फिर डाल दे ना मेरी चूत में अपने लंड का पानी.
मैं- ये लो भाभी!
कहते हुए मैंने एक धक्का भाभी की चूत में लगा दिया.

मेरे धक्के के साथ भाभी की चूत में लंड का सुपारा घुस गया. उसकी चूत वाकई में ही टाइट लग रही थी.

उसकी आह्ह निकल गयी और मैंने तभी उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसके तुरंत बाद एक और धक्का उसकी चूत में मार दिया.

वो छटपटाने लगी.
आधा लंड भाभी की चूत में घुस गया था.

वो मुझे धकेलने लगी लेकिन मैंने भाभी को कस कर जकड़ लिया और उसकी चूत में तीसरा धक्का भी दे मारा. वो तड़पने लगी और मेरे होंठों की पकड़ उसके लिप्स पर और ज्यादा कस गयी.

काफी देर तक लिप्स को चूसता रहा और फिर वो जाकर नॉर्मल हुई.

अब वो खुद ही मेरे होंठों को काट रही थी और मेरी पीठ पर नाखून गड़ा रही थी. शायद उसको लंड लेकर मजा आ गया था.

उसके बाद भाभी ने मेरी कमर में टांगें डाल दीं और मुझे कस कर अपने बदन से सटा लिया. मैं भाभी की चुदाई करने लगा.
वो भी अपनी गांड उचका कर चुदने लगी.

थोड़ी ही देर के बाद दोनों के मुंह से कामुकता भरे स्वर निकल रहे थे- आह्ह … ओह्ह … जान … यस … आह्ह … मजा आ रहा है … चोदो … और तेज अंकित … फाड़ दो.
मैं भी कुछ ऐसे ही बड़बड़ा रहा था- हाय मेरी रानी … तेरी चूत … आह्ह … कितनी गर्म है … बहुत मजा आ रहा है तेरी चूत चोदने में. आह्ह … चोद दूंगा तुझे … फाड़ दूंगा ये छेद।

इसी तरह 15 मिनट तक चोदने के बाद भाभी झड़ गयी.
मैं फिर भी उसकी चूत को पेलता रहा.

अब उसकी चूत में लंड बर्दाश्त नहीं हो रहा था उससे. वो दर्द से चिल्लाने लगी थी लेकिन मैं फिर भी उसको चोदता रहा.

उसके दस मिनट के बाद फिर मैंने पूरी स्पीड बढ़ा दी और उसकी चूत के चिथड़े होने लगे. पच … पच … फच … फच … की आवाज से कमरा गूंज उठा और एकाएक मेरे लंड से वीर्य निकल पड़ा. मैं हाँफता हुआ भाभी के बूब्स पर लेट गया.

मेरा सारा माल भाभी की चूत में खाली हो गया. उसके बाद हम लेटे रहे और फिर भाभी उठकर बाथरूम में चली गयी.
पीछे पीछे मैं भी गया और बोला- भाभी … अभी गांड चुदाई बाकी है.

वो बोली- नहीं, रात को तेरे भैया के साथ भी करना है. मैं और नहीं करवा पाऊंगी. तेरे लंड ने फाड़ कर रख दी मेरी चूत.

उसके बाद वो बाहर ही नहीं आई. मुझे देर हो रही थी इसलिए मैं मरे मन से वापस लौट आया और कपड़े पहन कर घर चला गया.

तो दोस्तो, उस रोज भाभी ने मुझे उनकी गांड चुदाई नहीं करने दी.

Sunday, 10 January 2021

बलात्कार

रूपाली ने एक नज़र आसमान की ओर देखा….कोई शाम के 6 बज रहे थे. उसके दिमाग़ में ख़याल आया, क्यूँ ना वो खेतों की तरफ जाए और अगर वहाँ कोई मज़दूर दिख जायें तो उनके साथ अगले दिन के लिए हावीली की आस पास सफाई का काम तय कर ले. उसे ये विचार अच्छा लगा.

अंदर आई और उसने जल्दी जल्दी अपने लंबे, घने बालों को संवारा, बगल में खुशबूदार फ्रांसीसी खुश्बू लगाई जो उसको कभी ससुर शौर्या सिंग ने दी थी….हल्के गुलाबी रंग का ब्लाउस पहना और गुलाबी सी साड़ी भी. शीशे में देखा, बहुत अच्छी लग रही थी रूपाली. बाहर पसीना आने का ख़तरा था, इसलिए रूपाली ने अपने गालों, गर्देन और ब्लाउस के अंदर हल्का सा पॉंड्स पाउडर लगा लिया. रूपाली ने एक बार खुद को निहारा…..और किसी 17 साल की लड़की की तरह शर्मा के रह गयी……वाकई बहुत खूबसूरत लग रही थी वो.

हवेली से चलते चलते काफ़ी दूर आ गयी थी रूपाली. इक्का दुक्का गाओं के बूढ़े उसको हुक्का पीते हुए नज़र आए और जैसे ही उन्होने ठकुराइन को देखा, अचकचा कर, “प्रणाम ठकुराइन”, कह कर उसका अभिवादन किया. रूपाली को अच्छा लगा कि आज भी हवेली का इतना रुतबा है. उन बूढ़े लोगों से काम के लिए कहना बेकार था, इसलिए वो आगे निकलती चली गयी.

सूरज ढालने लगा था और उसकी लालिमा चारों ओर फेल रही थी. रूपाली का चेहरा भी तपिश के कारण चमचमा उठा था और हल्का पसीना माथे पे मोती की तरह चमक रहा था. रूपाली को लगा अब कोई नहीं मिलेगा और उसे वापस हवेली की ओर चलना चाहिए. मुड़ने की वाली थी की उसे लगा उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी हों.

आवाज़ खेतों की तरफ से आई थी. रूपाली के कदम उसी तरफ बढ़ गये. अचानक उसे किसी मर्द के हँसने की आवाज़ आई और फिर से कुछ अस्पष्ट आवाज़ें. खेत गन्ने के होने की वज़ह से बहुत घना था……अचानक रूपाली को लगा उसने चूड़ियों के टूटने की आवाज़ सुनी और फिर एक लड़की की चीख आई,”ना कर सत्तू चाचा, हाथ जोड़ू तेरे…..” और एक गुर्राहट भरी मर्दानी आवाज़,”चुप्प साली…”……..और तभी रूपाली के आगे सारा नज़ारा सॉफ था…

गाओं में जात-पात थी. ऊँची जात वाले ब्राह्मण और ठाकुर, गाओं की ऊपर ओर रहते थे, और सब डोम-चमार-कहार, नाई, गाओं की निचली ओर. सारा मामला निचली जात का था. 2 काले कलूटे, 40 साल से ऊपर के चमारों ने एक 20-22 साल की मांसल से लड़की के हाथ पकड़ रखे थे और एक 50 साल से ऊपर का कलूटा उसके पैरों को खोल कर, अपना काला लंड लड़की की बुर में घुसाने की कोशिश कर रहा था. एक और 45-50 साल का अधेड़, साँवले रंग का बुज़ुर्ग ये सब ऐसे देख रहा था मानो कोई किसी गाय को चारा चरता हुआ देख रहा हो.
“ना कर सत्तू चाचा, जान दे, मैं तेरी मौधी (बेटी) जैसी हूँ रे….”…….”चुप्प कमला साली……हमरी मौधी ऐसे गांद ना फिराती फिरे गाओं भर में….अब चोद्ने दे नाहीं तो चीर देई तोहरा के….”…ये कहते हुए उसने एक असफल कोशिश और की. मगर लड़की शरीर सेमजबूत  थी और उसकी टांगे अलग होने का नाम नहीं ले रही थी. झल्लाहट में सत्तू ने एक झापड़ रसीद दिया. कमला ज़ोर से रोने लगी,”हाए दैयया रे…..कोई बचाआऊऊ……बचहाआआााऊऊ.” खेत गाओं से इतनी दूर थे कि किसी के आस पास होने का सवाल ही नहीं था. तीनो कलूटों ने उसका मुँह बंद करने तक की ज़हमत नहीं उठाई और हंसते रहे.
“क्या हो रहा है ये???…….बंद करो….सालो”, किसी बूखी शेरनी की तरह रूपाली गुर्राते हुए चीखी और एक पल के लिए मानो वक़्त थम गया था…….सब सुन्न रह गये थे. ना कमला चीखी, ना सत्तू कुछ बोला और चारों मर्द रूपाली को ऐसे देख रहे थे मानो पूछ रहे हों,”आप कौन हैं?” सांवला आदमी, जिसकी उमर 45-50 के बीच थी, धीरे से बोला,”सत्तू, कालू, मोतिया……ये हवेली की ठकुराइन हैं……परणाम ठकुराइन.”. तीनो कल्लुओं ने घबराहट में कमला को छ्चोड़ दिया जो अपने कपड़े झाड़ते हुए उठी और भाग के रूपाली के पीछे जा छुपि.

“तो यह सब हो रहा है हमारे गाओं में अब? हैं? कोई शरम लाज नहीं है आप लोगों को?”, किसी बिफरी हुई शेरनी की तरह रूपाली आग उगल रही थी. “कौन हे रे तू?” रूपाली ने कमला से पूछा तो पता चला वो झूरी मल्लाह की बेटी है और मोतिया उसे सस्ती साड़ी वाले से मिलवाने के बहाने फुसला के गाओं से कुछ दूर लाया था, जहाँ कालू और सत्तू ने उसको पकड़ लिया और तीनों उसको खेत की ओर ले आए थे. बेगानी शादी में अब्दुल्लाह दीवाना वाली हालत थी साँवले मुंगेरी की और वो ऐसे ही इन तीनो के साथ हो लिया था की कुछ देसी शराब पी लेगा और कुछ चने खा लेगा. चारों 2 बॉटल देसी शराब गटक चुके थे और उन्होने कमला को भी ज़बरदस्ती शराब पिलाने की कोशिश की थी, पर उसने सब शराब बाहर थूक दी थी. उन्होने शराब बर्बाद करने से अच्छा सोचा साली को बस कुछ देर पकड़ कर रखें और फिर नशे के सुरूर में चुदाई का प्रोग्राम चालू ही किया था की रूपाली ने आकर सब गुड-गोबर कर दिया.

रूपाली ने चिल्ला कर कहा,”चल कमला तू मेरे साथ…….और हरामजादो, कल गाओं की पंचायत लगेगी, उसमें दिखाना तुम अपने ये गंदे-काले चेहरे.” मुंगेरी,जो सिर्फ़ शराब के लालच में आया था, गिड़गिदा रहा था,”जाने दो ठकुराइन, ये बहक गये थे.”. बाकी तीनो नशे और शर्म की मिली जुली हालत में कभी आँखें झपका रहे थे, कभी खेत के ज़मीन की तरफ देख रहे थे. एक तेज़ हवा का झोंका आया और एक पल के लिए रूपाली की सारी का पल्लू सरक गया. ढलती शाम में तीनों कलूटों ने एक पल के लिए गुलाबी ब्लाउस में क्वेड दो उन्नत उरोज़ देखे और उनकी आँखें चौंधिया गयी.

सकपका कर रूपाली ने झट से आँचल ठीक किया और कदक्ते हुए बोली,”चल कमला.” मुड़कर चलने लगी, गाओं की ओर. चारों आदमी वहीं हक्के-बक्के से खड़े रह गये थे.

300 मीटर चले होंगे रूपाली और कमला कि अब सन्न होने की बारी रूपाली की थी. शायद उन कलूटों ने छ्होटा रास्ता लिया था, या तेज़ तेज़ चलते हुए बराबर के रास्ते से आए थे. जो भी था, सच्चाई यह थी कि सत्तू, मोतिया, कालू और मुंगेरी भी, उन दोनो के सामने खड़े थे. “क्या है?” रूपाली चीखी. नीच जात के मोतिया ने एक थप्पड़ रूपाली के गाल पे रसीद दिया और बोला,”हरामजादि. हमको पंचायत के हवाले करेगी? कर साली. पर उनको पूरी बात बताना. कि कैसे हम ने तेरी चुदाई की रांड़.” एक पल के लिए रूपाली को अपने कानो पे विश्वास नहीं हुआ. ये नीच जात के लोग, जो ठाकुरों की छाया पे भी पैर रखने के कारण पिट जाया करते थे, उसकी इज़्ज़त लूटने की बात कर रहे थे…….ठाकुर साहब की बहू की इज़्ज़त.
“खबरदार…”, रूपाली चिल्लाई…..मगर उसके इतना बोलते ही मोतिया ने उसे तड़ातड़ 4-5 थप्पड़ लगा दिए. पीड़ा और अपमान से रूपाली के आँसू छल-छला आए. “जाने दो…”, उसकी कराह निकली. कमला, जिसकी गदराई हुई जवानी को पाने के लिए कलूटों ने ये सब किया था बोली,”सत्तू चाचा, मोतिया भाय्या….ठकुराइन को जाने दो….आपको जो करना है, हमरे संग कर लेव भाय्या…” कालू और मोतिया वहशियो की तरह हँसने लगे. कालू ने कसकर कमला का हाथ पकड़ लिया और सत्तू और मोतिया ने रूपाली के दोनो हाथ पकड़े और वो वापस खेत के उसी हिस्से की ओर बढ़ने लगे, जहाँ उन्होने खेत के बीच कुछ जगह सॉफ की थी और कमला को चोद्ने की कोशिश ही कर रहे थे कि रूपाली आ पहुची थी……..
रूपाली और कमला की हालत ऐसी थी मानो बकरियों को कसाई घसीट रहे हों. बीच बीच में धमकाने के लिए मोतिया उसके हाथ को ज़ोर से मरोड़ देता था और हर बार उसके मुँह से आआआः, निकल जाती थी. मुंगेरी ने एक दो बार ज़रूर कहा,”अरे जानो दे रे ठकुराइन को….क्यूँ आफ़त मोले ले रहे हो….”, मगर शायद उसकी बातों की कोई अहमियत थी ही नहीं.

थोड़ी ही देर में वो सब वहीं पहुँच चुके थे जहाँ खेत के बीचों-बीच कुछ गन्ने उखाड़ कर कुच्छ सॉफ जगह बनाई गयी थी. खेत के गन्ने इतने ऊँचे थे कि अगर कोई भूले भटके आस पास आ भी जाए, उसे कुछ दिखाई देने का सवाल ही नहीं उठता था.

रूपाली और कमला को बीच में बैठा कर, उन्होने शराब की बोतलें खोल ली. सत्तू ने एक बड़ा सा घूँट लगाया और कड़वा सा मुँह बनाते हुए, बोतल रूपाली के होंठो पे लगाई और बोला,”ले, पी ले…” ये सब अचानक हुआ था, इसलिए कुछ ज़हर जैसे कड़वे घूँट रूपाली के अंदर चले ही गये. खाँसते हुए उसने थूकते हुए कहा,”देखो….कल हवेली आ जाना और हम तुम सबको 2000 रुपये देंगी. हम वादा करते हैं, बात यहीं ख़तम हो जाएगी, पंचायत नहीं होगी.”

मुंगेरी झट से बोला,”परेशान की कोई बात नहीं ठकुराइन,…….अरे सत्तू, जाने दो इन्हें.” सत्तू गुर्राया,”चुप साले. हीज़ड़ा की माफिक बात करे है हमेसा…..अब इस पार या उस पार………………….ठकुराइन, लाख टके की चूत के बदले दूई हज़ार रुपय्या? कच्ची हैं आप हिसाब की…..”

अब बहुत ही हल्की रोशनी बची थी सूरज की. रूपाली समझ चुकी थी अब कुछ नहीं हो सकता था. खुद को कोस रही थी कि क्यूँ घर से निकली. कमला, जो रूपाली के आने तक इतने हाथ पैर मार रही थी, भी अब ढीली पड़ चुकी थी. उसको लग रहा था अगर वो भाग भी जाए तो ये ग़लत होगा, क्योंकि ठकुराइन, जिन्होने अपनी ज़िंदगी उसकी खातिर दावं पे लगा दी थी, फिर भी लूट जाएँगी.

कालू और मोतिया नशे की हालत कें उन ख़ूँख़ार कुत्तों की तरह लग रहे थे जो किसी घायल चिड़िया को मारने से पहले उसको कुछ देर के लिए दाँत दिखाते हैं और गुर्राते हैं. कालू अपनी लूँगी हटा चुका था. रूपाली ने नफ़रत से उसकी तरफ देखा. नीच जात के कालू ने नारंगी रंग का कच्छा पहन रखा था.बैठी हुई रूपाली को उसने छ्होटी पकड़ कर उठाया, खुद बैठ गया और उसको अपनी नंगी, काली जाँघ पे बिठा लिया. रूपाली सन्न रह गयी.

सत्तू सामने की तरफ से आया और उसने कालू की पीठ को इस तरह से जाकड़ लिया कि रूपाली उन दोनो के बीच में भींच गयी. रूपाली के पीठ, कालू के बदबूदार सीने से चिपकी हुई थी और सट्टी ने अपने काले, भद्दे होंठ, उसके खूबसूरत, रसीले होंठो पर चिपका दिए. सस्ती शराब की बदबू और काले पसीनेदार बदनों से निकलती हुई सदान्ध ने रूपाली का माथा चकरा दिया था…..उसे लगा उसको उल्टी आ जाएगी. सत्तू रूपाली के होंठ चूस रहा था. कालू ने अपने हाथ सरकाए और रूपाली के मम्मे सहलाने लगा. रूपाली की पीठ से उसे पॉंड्स की भीनी भीनी महक आ रही थी और उसने ज़िंदगी में कभी भी इतनी खूबसूरत और खुशबूदार औरत का दीदार किया ही नहीं था. उसकी हालत उस पागल मक्खी जैसी थी जो जानती है कि शहद से चिपटने का अंज़ाम मौत है मगर फिर भी वो कुछ और नहीं सोच पाती.

कालू पागलों की तरह रूपाली के बॅबल ट्रक को भोंपु की तरह बजाने लगा और रूपाली की हर सिसकी, सत्तू के बदबूदार होंठों तक पहुँच कर रुक जाती थी. सत्तू ने रूपाली की खूबसूरत जीभ को अपने तंबाखू से सड़े हुए दाँतों के बीच पकड़ लिया और उसको चूसने लगा. इतना भरोसा था अब उन सबको कि आराम से फिर शारब पीने लगे और फिर से रूपाली को थोड़ी सी शराब पीला दी. सत्तू केबदबूदार चुंबन के बाद रूपाली का गला ऐसे सूख रहा था कि इस बार उसको ये कड़वी शराब भी इतनी बुरी नहीं लगी.

रूपाली की गोरी चूत और सुनेहरी गांद ने कभी किसी काले लंड को अपने पास तक नहीं फटकने दिया था. और आज ये बदबूदार, नीच जात के गंदे आदमी उसके साथ मनमानी कर रहे थे. मज़बूरी में रूपाली के आँसू छलक आए.

“जाने दो हमें….हमें हवेली पहुँचना है….” रुंधी हुई आवाज़ में एक नाकाम कोशिश की उसने. मोतिया बोला,”हाँ हां, तेरे ख़सम, ससुर और देवर के भूत तेरा इंतेज़ार कर रहे हैं वहाँ ना? चुप कर रंडी.”

तीन बोतल शराब गटक चुके थे वो चारों लोग. मुंगेरी को उन्होने पैसे दिए और जल्दी से 4 बोतल शराब, मुर्गी-रोटी ले आने को कहा और वो झट से गाओं की ओर चल दिया. शराब में मुंगेरी के प्राण बस्ते थे मानो.

कालू ने हंसते हुए मोतिया से कहा,”मोतिया…..ज़रा ठकुराइन को तोहार लौदा की मार तो दिखाई देब भाई……”, और मोतिया ने पहले कमला की अंगिया-चोली हटा दी और फिर उसका लहंगा भी. हल्की रोशनी में कमला का सांवला, गदराया बदन मादार-जात नंगा था और वो सिसक रही थी. मज़बूत साँवले स्तन जिनपर काली सी गोल चूचियाँ थी…….सपाट, सांवला पेट (स्टमक), साँवली मांसल, भारी-भारी जांघें और डरी हुई, हिरनी जैसी आँखें. मोतिया को ऐसी मस्त जवानी की कोई कदर नही थी ही नहीं…….रोमॅंटिक तरीके से चूमने, चूसने की जगह, साला कमला की चूत में उंगली घुसेड कर सिर्फ़ ये कोशिश कर रहा था कि वो जल्दी से कुछ गीली हो जाए, ताकि हू अपना लॉडा उसके अंदर डाल के चोद दे बस…….

मोतिया ने कमला के होंठों को अपने होंठों के बीच में लिया, दोनो हाथों से उसकी जांघों को अलग किया और अपने एक हाथ में ढेर सारा थूक लेकर उसकी कोरी चूत और अपने काले मूसल लंड पे रगड़ने लगा. उसके बाद उसने अपना काला मोटा लॉडा कमला की चूत के मुँह पे रखा और धीरे से कुछ अंदर किया……कमला की फटी हुई आँखें और सिसकियाँ बता रही थी कितना दर्द हो रहा है उसको……….मोतिया ने कमला के बंद दरवाज़े पे दबाव बढ़ाया…..और अचानक,”ले मादरच्चोड़…….” कह कर कमला का बंद दरवाज़ा फाड़कर वो उसके अंदर घुस गया.

“उई मैययययययययययययययययाआआआआआआआआआअ रीईईईईई……………..मर गाइिईईईईईईई………आआआआआआआआआआआआआआन्न्‍नननननननननननननननगगगगगगघह,….
माआआआआ…………….मैयययययययययाआआआआआआआआआअ रीईईईईईई…………….” कमला का भयानक आरतनाद जारी था और मोतिया अब उसके आखरी परखच्चे ढीले करने में मशगूल था. ठप्प, ठप्प, ठप्प ठप्प……मोतिया की काली जांघें कमला की साँवली जांघों से टकरा रही थी………फुकच्छ-फुकच्छ. फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ….काला मोटा लॉडा, साँवली, सख़्त चूत के अंदर से संगीतमय आवाज़ें निकाल रहा था……..पहली बार मोतिया ने कमला के दाहिने मम्मे को चूसना शुरू किया और उसकी काली चूचियों को चूसने-काटने लगा. कमला की कोरी चूत से खून रिस रहा था पर मोतिया को कोई फ़िक्र नहीं थी. अब वो उसको अपने लंड की जड़ तक चोद रहा था और कभी कमला के मम्मे चूस्ता, कभी उसकी गर्देन और होंठ पे काट खाता.

कालू की नंगी जाँघ पे रूपाली बैठी थी और उसको सॉफ महसूस हो रहा था कालू का काला, अकड़ता हुआ लंड. कालू से रहा नहीं जा रहा था, उसने ब्लाउस के हुक खोले, ब्लाउस हटाया और ब्रा-ब्लाउस हटा के रूपाली के बंद कबूतरों को आज़ाद कर दिया. अब रूपाली ऊपर से नंगी थी. गोरी पीठ को चूम चूम के कालो दीवाना हुआ जा रहा था. सत्तू ने अपनी बोतल अलग रखी और रूपाली के मम्मे बारी बारी से चूसने लगा. नफ़रत और अपमान से रूपाली सिसक रही थी.

कालू ने रूपाली की गर्देन को चूमना चूसना शुरू कर दिया था और सत्तू के तंबाखू से सड़े हुए दाँत उसकी गुलाबी चूचियों को काट रहे थे. रूपाली ने आँखें बंद कर ली थी और अजीब से सिहरन महसूस कर रही थी. दोनो चमारों का गोरी ठकुराइन को आध-नंगा देख कर वैसे ही बुरा हाल था…

उधर मोतिया ने कमला की चूत के परखच्चे उड़ा दिए थे. खून और उसका रस, चूत से रिस रहे थे और धीरे धीरे उसके साँवले छूतदों के बीच छिपे काले से छेद पे मिल रहे थे. मोतिया ने अपनी जीभ उसके मुँह के अंदर घुसा रखी थी और लंड उसकी चूत को दना दान, गपा गॅप चोद रहा था……कमला को चुदाई का कोई अनुभव नहीं था….मगर फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ के आवाज़ों के बीच उसने अचानक महसूस किया उसका पेशाब निकलने वाला है…….मोतिया ने उसके बाए मम्मे को चूसना शुरू कर दिया मगर चुदाई जारी थी….. ठप-ठप-ठप-ठप-ठप…….फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ फुकच्छ-फुकच्छ……………..अचानक कमला के मुँह से निकला …आआआआआआआहह…..और उसे लगा उसने पेशाब कर दी है……मगर दरअसल वो छ्छूट चुकी थी…..ये, उस बेचारी का पहला सेक्स अनुभव था………मोतिया के धक्के वीभत्स हो चुके थे……..तेज़, तेज़, और तेज़….अचानक वो चिल्लाया,”अयाया रंडीईईईईईई………..”, और कमला ने महसूस किया मानो मोतिया का लॉडा उसके अंदर लगातार थूक रहा था……गरम-गरम-चिप चिपा वीर्य……मोतिया का वीर्य………..कमला के अंदर……..च्चटपटा कर कमला ने निकलने की कोशिश की, मगर उस हरांज़ाड़े को कोई परवाह नहीं थी. बेरहमी से उसने कमला के चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर भींच लिए और हर बूँद उसके अंदर ही रहने दी. पूरी तरह से खल्लास होने के बावजूद, कमीना दस मिनिट तक कमला के पूरे नंगे बदन पे बेरहमी से चिपका रहा………………

सत्तू और कालू रूपाली की साड़ी और पेटिकोट हटा चुके थे. अब वो भी कमला की तरह मादार-जात नंगी थी. उसीकि साड़ी और पेटिकोट को नीचे बिछा कर दोनो ने उसको नीचे लिटा दिया था. सारी पे लेटने के बावजूद, रूपाली को अपनी पीठ पे खेतों के कंकर-पत्थर चुभते हुए महसूस हुए.

कालू ने उसकी गोरी जांघें देखी तो पागल हो उठा. उसने रूपाली के गोरे पैरो और जाँघो को चूमना-चूसना शुरू कर दिया. सत्तू रूपाली के गालों को हाथो से चिकोटी काट रहा था और कभी कभी उसके मम्मों को भोंपु की तरह बजा देता था. रूपाली की गोरी चूत पे, छ्होटी छ्होटी काली झांते थी और उनको देखते ही कालू का दिमाग़ खराब हो गया. उसने चूत का एक हिस्सा मुँह में दबाया और ऐसे चूसने लगा मानो किसी बच्चे के मुँह में रसीली टॉफी आ आई हो. फिर अपनी जीभ रूपाली की चूत में उसने पूरी घुसा दी और रूपाली की सिसकारियाँ निकलने लगी. उंगली पे थूक लगा के रूपाली की गांद के सुनहरे, भूरे छेद से खेल रहा था कालू और जीब पूरी तरह से गुलाबी चूत को चोद रही थी. रूपाली पूरी तरह गन-गॅना उठी.

रूपाली ने नज़र घुमा के देखा……कमला लेटी हुई थी और बेबसी की हालत में उसको देख रही थी…..उसके ठीक पीछे मोतिया लेटा हुआ था और बेशर्मी से मुस्कुराते हुए उसको एकटक देख रहा था……जैसे ही रूपाली की आँख उसकी आँख से मिली, वो बेशर्मी से मुस्कुराते हुए बोला,”क्यूँ ठकुराइन? पंचायत में बोलोगि कैसे कालू चूत चूस रहा आपकी? हाहहाहा.” रूपाली ने नफ़रत से दूसरी तरफ नज़रें घुमा ली.

अचानक रूपाली को गंदी सी बदबू आई. आँख खोली तो देखा ठीक नाक के नीचे एक बहुत ही बदबूदार लंड, उसके खूबसूरत मुँह में घुसने की कोशिश कर रहा है…….बिलबिलते हुए रूपाली बोली,”भगवान के लिए, ये मत करो सत्तू काका…..आप नीचे कर लो…..” सत्तू चिल्लाया,”मुँह खोल रंडी………”…..जल्दी ही पेशाब, पसीने से मिली जुली सदान्ध वाला काला लंड रूपाली के खूबसूरत गोरे मुँह में था…….उल्टी आने को हुई, मगर रूपाली के गले में घुट कर रह गयी…….बदबू से ध्यान हटाने की कोशिश करने के लिए रूपाली ने नीचे की सनसनाहट की ओर ध्यान केंद्रित किया……..

रूपाली को चूत की सनसनाहट अच्छी लग रही थी. कालू की जीभ मोटी थी और वो बड़े करीने से उसकी गुलाबी- गोरी चूत को चूस रहा था……जानवरों जैसी जीभ होने की वज़ह से उस जीभ की खुरदुराहट, जितनी बार रूपाली के दाने को छ्छू जाती, उसकी सिसकारी सी छ्छूट जाती. मुँह में बदबूदार, पसीने से चिपचिपा काला लंड था और उबकाई, नफ़रत और बेबसी के मारे रूपाली की खूबसूरत आँखों से आँसू छल्छला उठे.

आहत हिरनी की तरह, किसी तरह रूपाली ने नज़रें घुमाई तो देखा नंगी कमला उसकी ओर एकटक देख रही है. पूरी नंगी कमला की बगल में काला मोतिया नंगा लेटा हुआ था और भूखे भेड़िए की तरह रूपाली की चुदाई देख रहा था. शायद रूपाली की मज़बूरी उसके अंदर के शैतान को और जगा रही थी….इसलिए, वो रह रहकर, कमला की कसी हुई छतियो को बीच बीच में ज़ोरों से मसल देता था……हर बार उसकी कल्पना में रूपाली के गोरे स्तन आते थे जो दर-असल इस वक़्त, दो मज़बूर कबूतरों की तरह सत्तू के लटके हुए, काले टट्टों के नीचे तड़प रहे थे.

सत्तू अपना बदबूदार लंड रूपाली के मुँह में अंदर बाहर कर रहा था. चमार लॉडा आज़ादी से मनमानी कर रहा था और ठकुराइन का खानदानी मुँह, इस दबंग लंड की मनमानी सहने को मज़बूर था…..मुँह से भी गप्प-गप्प-गप्प-गप्प की आवाज़ें आ रही थी. रूपाली इस लंड से निकला कुछ भी गले के अंदर नहीं उतरने देना चाहती थी और इसलिए ढेरों थूक उगल रही थी. ढेर सारा थूक होने की वज़ह से सत्तू का बदबूदार लॉडा ऐसी चिकनाई महसूस कर रहा था जैसी उसने ना कभी अपनी पत्नी  की चूत में महसूस की थी और ना कभी शहर की सस्ती रंडियों में. कभी कभी सत्तू अपने दोस्तों के साथ शहर की सस्ती रंडिया भी चोद लिया करता था, जैसा कि गाओं के लोग अक्सर करते हैं जब वो बड़े शहरों में अनाज बेचने या खाद-बीज खरीदने जाते हैं.

सत्तू वहशियों की तरह रूपाली का मुँह चोद रहा था. कालू ने रूपाली की जांघों के बीच में मुँह फँसा रखा था और चूत से रिस्ति हुई हर बूँद को ऐसे पी रहा था मानो देवता समुद्रा मंथन से निकले अमृत को पी गये थे. फ़र्क सिर्फ़ ये था, कि कालू कोई देवता नहीं, एक राक्षश था……और रूपाली की विडंबना यह थी कि इस दुष्ट राक्षश का गला काटने के लिए कोई देवता धरती पे नहीं आ रहा था.

अचानक सत्तू ने थूक से अपने दोनो चूचक (निपल्स) खूब गीले किए और रूपाली के दोनो हाथ उठाकर,उसके अंगूठों और पहली उंगली के बीच अपने निपल पकड़ा दिए. मज़बूरी में रूपाली उसका बदबूदार, मोटा लंड चूस्ते चूस्ते उसके चूचको को धीरे धीरे मसल्ने लगी. सत्तू मानो स्वर्ग में था. अपने चूचकों से उसको सनसनाहट महसूस हो रही थी…..काला लंड मोटा होते होते, अपनी पराकाष्ठा पे था और रूपाली को गले के अंदर तक चोद रहा था…….कालू की खुरदरी जीभ रूपाली की चूत के अंदर साँप की तरह बिलबिला रही थे……अचानक रूपाली को नीचे एक तेज़ सनसनाहट महसूस हुई और उसने कई झटको में कालू की जीभ में ढेर सारा शहद छ्चोड़ दिया.

रूपाली छ्छूट चुकी थी. लेकिन सत्तू ने उसके बाल पकड़ रखे थे और उसके मुँह को झटके दे देके वो उसका मुँह लगातार चोद रहा था…..रूपाली की उंगलियाँ लगातार उसके चूचकों से खेलने को मज़बूर थी……..रूपाली ने उसके चूचकों को ज़रा ज़ोर से मसल क्या दिया, एक ज़ोरदार झटका ले के सत्तू ने बहुत ही मोटा, गाढ़ा और बहुत सारा सफेद वीर्य, रूपाली के ठाकुर गले में उतार दिया.

फूकक्च…….फूकक्चह…..फुक्ककचह……के आवाज़ और कमीने ने रूपाली का सिर इतनी ज़ोर से अपनी जांघों के बीच में भींच लिया की वो बेचारी साँस तक लेने को ऐसी मज़बूर हुई कि मुँह से साँस खींचनी पड़ी और चमार की एक एक बूँद रूपाली के शानदार ठाकुर गले से होती हुई पेट (स्टमक) के अंदर चली गयी.

पूरे 2 मिनिट ज़बरन उसे भींचे रखा सत्तू ने और जब रूपाली का सिर आज़ाद किया, तो वो ज़ोरो से खाँसने लगी. लंबे खुले बाल, गुलाबी रंग का मज़बूर, खूबसूरत चेहरा और आँखो से झार झार गिरते मोतियों जैसे आँसू………….कमीने सत्तू ने जैसे ही उसका चेहरा देखा, ज़ोरो से हँसने लगा और बोला,”पंचायत में ज़रूर बताई…..कि नास्पीटा सत्तू हमरे मुख में लवदा दिए रहा हमरे….हाहहहहहहहाहा.” कालू जो अब तक रूपाली की चूत चाट रहा था, धीरे से सरक के उठ बैठा और रूपाली का बायां मम्मा सहलाते हुए वो भी हँसने लगा!

यह सब देखते देखते मोतिया फिर से गरम हो चक्का था. वो लगातार साँवली कमला की कसी हुई चूत, जिसका किला वो थोड़ी ही देर पहले ध्वस्त कर चक्का था, सहला रहा था. कभी छूट में उंगली घुसा घुसा के मज़े लेता था और कभी उसकी चूत के दाने को मरोड़ने लगता. कमला कसमसाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी. अचानक मोतिया एक झटके से उठा और कालू से बोला,”ठकुराइन की चूत काफ़ी चूस चुके तुम मादर्चोद….अभी तुम कमला रानी का मज़ा भी लई लो….मौकू ठकुराइन का जायजा लेन दो भाई.” कालू बड़े अनमने मंन से उठा. सच बात यह थी कि उसने सिर्फ़ एक बार एक सस्ती नेपाली रंडी को चोदा था जो गोरी थी. उस जैसे बदसूरत, कलूटे चमार को गोरी ठकुराइन के दर्शन मात्र दुर्लभ थे और यहाँ वो उनकी चूत 1 घंटे से चाट रहा था. राक्षश जैसा कालू मजबूरी में उठा, कमला की बगल में लेटा और उसकी छूट में बेरहमी से 1 उंगली पूरी घुसाते हुए उसके होंठो को ज़ोर से चूसने लगा.

चाँदनी रात थी और शायद पूरण-मासी से 1 दिन पहले का चाँद था. रूपाली का गोरा नंगा बदन मानो दूध में नहाया हुआ दिख रहा था और मोतिया और सत्तू उसको ऐसे खरोन्चे मार रहे थे मानो शैतान चीतों के हाथ एक मज़बूर हिरनी लग गयी हो और वो मारने से पहले, उसको नोच-खसोट रहे हों.

मोतिया ने अपना मोटा लंड उसके होंठों के बीच में लगाया और मज़बूर, नाकाम कोशिश को अनदेखा करते हुए, रूपाली के सुंदर मुँह में अपना लंड घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा. सत्तू ने रूपाली का हाथ पकड़ा और उसमें अपना लॉडा थमा दिया. मज़बूरी में रूपाली सत्तू का बदबूदार लंड, जिसको वो कुछ ही देर पहले चूस चुकी थी, हिलाने सहलाने लगी. मोतिया ने घापघाप उसके मुँह को थोड़ी देर चोदा और रूपाली की आँखें फटने को आ रही थी. अचानक, मोतिया ने अपना लंड रूपाली के मुँह से खींच के निकाल लिया, तीर की तरह नीचे सरका और घकचह से अपना मोटा लंड रूपाली की चूत में घुसा दिया. “आआआआआअहह……..”, रूपाली की घुटि सी चीख निकली और मोतिया उसको जानवर की तरह चोद्ने लगा. चमार मोतिया चोद रहा था……शानदार ठकुराइन, मज़बूरी और लाचारी में चुद रही थी….और सत्तू चामर बेचारी से अपना बदबूदार लंड मसलवा रहा था, सहलवा रहा था…..

कालू इतना सब देख कर अपना आपा खो बैठा. उसने अपना मूसल जैसा लंड एक बार सहलाया , उसपर बहुत सारा थूक लगाया और कमला की कसी हुई, उभरी भूरे रंग की चूत में घुप्प्प्प्प्प्प्प्प्प, से घुसा दिया. कमला कुच्छ ही देर पहले मोतिया को अपनी जवानी का अनमोल मोती सौंप चुकी थी. पहली बार चुदी थी इसलिए अब इतना दर्द नहीं होना चाहिए था. मगर कालू का लंड मूसल था. जैसे किसी गधे का हो. “हाअए मोरी मैययययययययययययययाआआआआआआआअ, मरर गयी माआआआआआआआआआं……..ठकुराइन, हामका बचाई लेब….”……..उसकी कातर आवाज़ रात के सन्नाटे में भटक के रह गयी………..चाँदनी रात में उसने देखा बेचारी ठकुराइन खुद मोतिया से चुद रही थी. मोतिया चमार ने शायद कुछ गंदी पिक्चरे देखी थी……इसलिए वो सिर्फ़ गाओं जैसी चुदाई नहीं कर रहा था…..उसने रूपाली की गोरी टाँगें अपने कंधों में फँसा ली थी और इस कारण ऐसे चुदाई कर रहा था मानो कोई किसान किसी खेत में हल जोत रहा हो……..

कालू ने बेरहमी से कमला के उभरे हुए, मोटे होंठ को चूसना शुरू किया और मूसल लंड से दनादन चुदाई जारी थी. कुछ देर पहले मोतिया ने उसकी चूत से खून निकाला था मगर शायद उसकी किस्मेत में चूत को और ज़्यादा, पूरी तरह से खुलवाना लिखा था…….खून फिर से रिसने लगा. कालू बेख़बर, चोदे जा रहा था…..फुकच्छ-फुकच्छ—फुकच्छ-फु
कच्छ, फुकच्छ-फुकच्छ—फुकच्छ-फुकच्छ, फुकच्छ-फुकच्छ—फुकच्छ-फुकच्छ.

“उूुुुउउन्न्ञननणणन्…आआअन्न्‍नणणन्—आआअन्न्‍णणन्…उूउउन्न्ञणणन्….”, कमला की रुलाई और फुकच्छ-फुकच्छ—फुकच्छ-फुकच्छ, फुकच्छ-फुकच्छ—फुकच्छ-फुकच्छ, फुकच्छ-फुकच्छ—फुकच्छ-फुकच्छ….कालू की चुदाई………20-25 मिनिट का कभी ना ख़तम होने वाला समय और फिर कालू ने अपना गाढ़ा, चिपचिपा वीर्य, कमला की पूरी तरह खुल चुकी, 20 साल की कुँवारी चूत के अंदर उगल दिया. ऐसा जानवर था कि कमला के निचले होंठ को बुरी तरह काट खाया उसने और पूरी तरह, अपने बदन का एक एक इंच कमला के कसे हुए बदन से चिपका के उसके ऊपर ऐसे लेट गया मानो दोनो का एक ही शरीर हो. मानो दोनो कभी अलग नहीं होंगे. कालू ने आँखें बंद कर ली और कल्पना में, कमला की जगह ठकुराइन रूपाली को बदल लिया. उत्तेजना के मारे कालू के शरीर में एक सिहरन दौड़ गयी और उसने ज़ोर से रूपाली (कमला), के चूतड़ पे एक च्युंती काटी और बाएँ गाल पे काट खाया……”हाआआआए’…कमला की सिसकारी निकली, पर कालू ने उसके होंठों पे अपने भद्दे, काले होंठ दबा दिए और उन्हें चूसने लगा.

मोतिया, जो पहले ही कमला के अंदर एक बार झाड़ चुक्का था, अब रूपाली को चोदे जा रहा था और झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ, पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ………की आवाज़ हज़ारों झींगुरों की आवाज़ के बीच आ रही थी और हालाँकि यह और कुछ नहीं, एक लड़की और एक युवती का बलात्कार था, फिर भी, चुदाई का संगीत मानो फ़िज़ाओं में च्छा चुका था.

अचानक झाड़ियों में खाद खाद खाद खाद के साथ किसी के आने की आवाज़ महसूस हुई…..और किसी अंजान शख़्श के आने के डर से मोतिया रूपाली के ऊपर एकदम सुन्न्ं लेट गया. कालू ने भी कमला का मुँह भींच दिया. लेकिन रूपाली ने मौके की नज़ाकत को समझते हुए गुहार लगाई,”भाय्या…इधर,……..हमें बचाओ….बचाओ…बचाओ……बचाओ हमें भाय्या…………..बccछ्ह्ह्ह्हाआऊऊऊ…..”

…”चुप्प….चुप्प साली…..” मोतिया और सत्तू फुसफुसाए और उन्होने रूपाली का मुँह दबा दिया….अब सिर्फ़ “उग्गघह…गों-गों…उग्घह….”जैसी घुटि आवाज़ें आ रही थी.

धीरे धीरे कदमों की आवाज़ पास आती गयी और अचानक ‘वो’ सामने आ गया

वो 45-50 साल का मुंगेरी था……जिसे इन तीन छमारों ने गाओं भेजा था, रोटी, मुर्गी और शराब लाने. चाँदनी रात में मुंगेरी ने रूपाली का दूध जैसा नंगा बदन देखा……..कालू के काले चीकत-कीचड़ जैसे बदन से चिपका कमला का पूरा नंगा, कसा हुआ सांवला-सलोना बदन देखा और उसका मुँह खुला का खुला रह गया. उसको देख कर मोतिया, कालू और सत्तू हँसने लगे और सत्तू बोला,”हुट्त्त साला…..ये तुम हो चूतिया, हाहहहाहा.” रूपाली ने मुंगेरी की ओर एक नज़र देखा और उसके मुँह से बेबसी की एक लंबी, ठंडी अया निकल गयी. उसने अपनी आँखें बंद कर ली.

पूरी शाम मुंगेरी तीन चमार दोस्तों को समझा रहा था की ठकुराइन से पंगा ना लो और जाने दो उनको. पर अब वो रूपाली के गोरे, सुंदर बदन को चाँदनी रात में यूँ निहार रहा था जैसे कोई गिद्ध, मरे हुए जानवर की लाश को निहारता है.उसके हाथ से खाने का थैला छ्छूट गया. बोतलें ज़मीन पर रख के, मुंगेरी अपने बायें हाथ से, धोती के ऊपर से ही, अपना लंड मसल्ने लगा.

मोतिया ने रूपाली की टाँगों को फिर दोनो कंधों पे रखा और पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ के संगीत मे आवाज़ एक बार फिर खेतों में गूंजने लगी. सत्तू सरक कर रूपाली के मुँह की तरफ गया, उसने रूपाली के लंबे बालों वाले सिर को अपने हाथों में लिया और एक बार फिर, अपना बदबूदार लंड उसके मुँह में घुसा के उसको चोद्ने लगा.

मुंगेरी पे मानो कोई जादू हो गया हो. वो कभी अपने चमार दोस्तों के साथ रंडियाँ तक चोद्ने नहीं जाता था. सिर्फ़ शराब और कबाब की यारी थी उसकी. पर रूपाली की गोरी टाँगें काले मोतिया के कंधों पे और रूपाली की गोरी चूत में धंसा हुआ मोतिया का काला लंड, उसके दिमाग़ पे छ्छा चुके थे. मानो किसी ने सम्मोहन सा कर दिया तहा उसपे. फटी हुई आँखो से रूपाली के सुंदर चुतड़ों को उछलता हुआ देख रहा था मुंगेरी. जाने कब उसकी धोती हट गयी और धारी वाले कच्छा का भी नाडा खोल के वो पूरा नंगा हो चुका था. कालू, जो कमला के साथ ये सब देख रहा था, ज़ोर से हंसा,”आए मादर्चोद मुंगेरी. इत्ता बड़ा लवदा रे……??? इस्तेमाल काहे नहीं करत है रे कभी कभी…हाहहाहा?”……..

मुंगेरी उसकी हँसी को अनसुना करता हुआ चुद्ति हुई रूपाली के चुतड़ों के पास गया और अपनी नाक उसके गोरे, खूबसूरत चुतड़ों के जितना पास ले जा सकता था, ले गया. मुंगेरी के नथुनो में रूपाली की गांद से आने वाली मदमस्त खुश्बू समा गयी. उसे मोतिया के लंड की बदबू भी आई और उसका दिल किया मोतिया को धक्का दे दे……मगर सामाजिक तक़ाज़ा था…..अपना ध्यान मोतिया के लंड से हटा कर, रूपाली के सुनहरे, भूरे छेद पे केंद्रित किया और अपनी जीभ उसपे लगाने की कोशिश करने लगा.

इस कोशिश में कभी उसकी नाक और माता मोतिया के टटटे छ्छू जाते तो कभी जीभ रूपाली की गांद चाटने लगती. मोतिया और रूपाली हर बार एक सिहरन महसूस कर रहे थे और मोतिया ढका धक रूपाली की गोरी चूत चोद रहा था, जांघों को नाख़ून से नोच रहा था और बीच बीच में उसकी मस्त चूचियाँ चूसने लगता.

सत्तू लॉडा चुसवाने में मस्त था और रूपाली का मुँह चोदे जा रहा था.

मुंगेरी ने बहुत सारा थूक रूपाली की गांद के छेद पे लगाया और धीरे धीरे पहले एक उंगली और फिर दो उंगलियाँ उसकी गांद के अंदर करने लगा. मोतिया ने सॉफ महसूस किया कि रूपाली की चूत की दीवारों से मुंगेरी की उंगलियाँ उसका लंड दबा रही हैं और उसका चुदाई का उत्साह दुगुना हो गया…….रूपाली को बहुत तकलीफ़ हो रही थी मगर उसकी ठाकुर गांद की अकड़, चमार मुंगेरी की उंगलियों के आगे दम तोड़ रही थी. धीरे धीरे गांद ढीली होती चली गयी.

मुंगेरी ने मोतिया से रुकने को कहा. “का है???…”, मोतिया गुर्राया. “रुक ना, बहुत मज़ा आबे करी…” मुंगेरी बोला और उसने मोतिया को पीठ के बल लेटने को कहा. बेमंन से मोतिया नीचे लेटा, तो मुंगेरी ने बॉल पकड़ कर रूपाली को उठाया और मोतिया के ऊपर बैठा दिया. मोतिया के खड़े लंड ने आसानी से अपना रास्ता ढूँढ लिया और वो रूपाली की रसीली चूत में घपप से घुस गया. मोतिया ने रूपाली की कमर पे दोनो हाथ रखे और कमर को अपने मज़बूत हाथों से ऊपर नीचे करने लगा. दूध सी गोरी रूपाली, रसीले होंठ, आँख में आँसू और उसके कमर तक लंबे लहराते बाल………मानो कोई खूबसूरत अप्सरा इन खेतों में आ गयी थी….इन कमीने चमारों से अपनी ऐसी-तैसी कराने..

मोतिया ने पहले कभी इस मुद्रा में चुदाई नहीं की थी. उसे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था. रूपाली की मस्त चूचियाँ उसकी आँखों की आगे हर झटके के साथ उछल रही थी, उसके काले हाथ रूपाली के मस्त चुतड़ों पे थप्पड़ लगा रहे थे और लंड मस्ती से गॅप-गप्प-गप्प-गप्प-गप्प-गप्प चुदाई कर रहा था. मोतिया ने महसूस किया अचानक चुदाई रुक गयी है क्यूंकी वो रूपाली को कमर से ऊपर नीचे नहीं कर पा रहा है……..जल्दी ही उसे कारण समझ आ गया……उसने देखा, रूपाली को कमर से मुंगेरी ने पकड़ रखा है और वो चुतड़ों को थोड़ा उठा के, रूपाली की गंद में अपना मोटा लॉडा घुसाने की कोशिश कर रहा है. अपने आप ही, मोतिया ने अपने धक्के बिल्कुल बंद कर दिए और मुंगेरी के लंड की सफलता का इंतेज़ार करने लगा.
मुंगेरी ने ढेर सारा थूक रूपाली की गांद के छेद पे मला, अपने लंड पे मसला और एक बार फिर कोशिश की. घुपप्प….धीरे से लंड ने गुदा द्वार में प्रवेश किया और रूपाली की चीख निकली….”आआअहह.” सत्तू अब तक बगल में बैठा शराब पी रहा था आउज़ उसने रूपाली के गालों पे चिकोटी काटी,”मालकिन, पंचायत को बहुत मज़ा आबे करी, जब आप ई चुदाई का बारे मा बताबे करी….आआहहहाहा.”

धीरे, धीरे, धीरे, धीरे, मुंगेरी का मज़बूत लंड रूपाली की गांद में पूरा घुस गया और 30-40 सेकेंड तक मोतिया, रूपाली और मुंगेरी…तीनो की मानो साँसें रुक गयी. फिर धीरे से मुंगेरी ने 5-7 मिलीमेटेर बाहर को खींचा और लंड फिर अंदर घुसा दिया. फिर उसने ये लगातार करना शुरू कर दिया.

पूरे वक़्त रूपाली बेखुदी में कुछ ना कुछ बुदबुदाती रही. उसे कुछ याद नहीं था कि कैसे मोतिया और सत्तू कमसिन कमला को लेकर, खेतों के बीच से होते हुए अपने कच्चे घरों की ओर बढ़ गये थे और कैसे कालू और मुंगेरी उसे हवेली की ओर पहुँचाने के लिए ले गये. जब होश संभाला तो अपनी वीरान हवेली बहुत पास नज़र आई.

सुबह के कोई सवा पाँच बाज रहे होंगे…….सूरज की हल्की लालिमा अंधेरे को चीरने को तैय्यार हो रही थी, मगर रूपाली को अब भी अंधेरेपन के सिवा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.

हवेली के आँगन में गूंगा चंदर गुम-सूम सा आँगन की मुंडेर पे बैठा था. बगल में उसने अपना लाल-सफेद गमछा रखा हुआ था. उसने एक नज़र रूपाली को देखा, फिर कालू और मुंगेरी को और वापस रूपाली को. उसे समझ नहीं आ रहा था पूरी रात रूपाली किधर थी?

कालू ने कहा,”सुबह सुबह हम लोग खेत को जाई रहे…..उन्हा पे बेहोस पड़ी मिली हमका ठकुराइन….”. रूपाली ने एक बार कालू की ओर देखा……..कहना मुश्किल था, आँखों में नफ़रत थी, उदासीनता या सिर्फ़ एक कभी ना भरने वाला शून्य.

खामोशी से रूपाली हवेली में दाखिल हो गयी और अपने शयन-कख़्श में घुसकर अपने बिस्तर पे गिर पड़ी. ख़यालो में कभी अपने मरे हुए पति को मुस्कुराता हुआ देखती तो कभी अपने ससुर और देवर को, जो सब पहले ही रूपाली को इस बड़ी सी ज़ालिम दुनिया में अकेला छोड़ के कब्के जा चुके थे. फुट-फुट के रोने लगी बेचारी!

चंदर उसके पीछे पीछे अंदर आया था और चंदर को कुछ समझ नहीं आया था. वो किसी बेवकूफ़ बच्चे की तरह, रूपाली को रोता हुआ देख रहा था और अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था. रूपाली का रुदन ऐसा था मानो कोई जानवर गहरी पीड़ा में कराह रहा हो.

बाहर से कालू और मुंगेरी खिसक चुके थे.

चंदर ने धीरे से रोती हुई रूपाली के कंधे पे हाथ रखा. रूपाली धीरे से मूडी, उसने एक नज़र चंदर की ओर देखा और फिर ज़ोर से उसे सीने से लगाते हुए ज़ोर ज़ोर से रोने लगी,”चंदर….चंदर……आआआआहह…….”. जैसे जैसे चंदर ने रूपाली के चेहरे के निशान, गले पे खरोंच, ब्लाउस के दो टूटे हुए बटन आदि पे गौर किया, उसकी आँखों की आगे सारा माजरा सॉफ होता चला गया. एक ही पल में नौकर-मालकिन का रिश्ता मानो ख़तम हो गया हो. ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो, चंदर घर का मर्द था और रूपाली उसकी, इस घर की इज़्ज़त, जिसको कुछ चमारों ने तार-तार करके रख छोड़ा था…..

“उूुुुुुुउउ……आआआआआआआआआआाअगगगगगगगगगगगगघह….हाआआआआआआआआआ……
..आआआआआआआाागगगगगगगगगगगघह,”, गूंगे के मुँह से कराह निकली और उसने इधर उधर देख के पास पड़ी बड़ी सी गुप्ती निकाल ली. जैसे ही रूपाली ने चंदर का वीभत्स चेहरा और हाथ में खुली हुई गुप्ती देखी……वो ज़ोर से चीखी,”चंदर नहीं…..तुझे मेरी कसम, कोई भी ऐसा काम मत करना….तुझे मेरी कसम.” चंदर जो गुप्ती को कालू के जिगर के पार कर देना चाहता था, रूपाली की बात सुन कर ठिठक के रुक गया…एक नज़र रूपाली को देखा और फिर उसने ख़तरनाक गुप्ती को पटक कर फेंक दिया……….ज़ोर से रूपाली को सीने से लगाया और दोनो फूट फूट कर रोने लगे.

दोपहर, कोई 3 बजे का समय. चौपाल सजी हुई थी. गाओं के बीचों बीच बड़ा सा बरगद का पेड़ था और उसकी घनी छाया में चार चारपाइयाँ लगी हुई थी. एक पर गाओं के सरपंच, पंडित मिश्रा जी बैठे हुए थे. दूसरी चारपाई पे ठाकुर रणबीर सिंग, तीसरी पे ठाकुर सरी राम विराजमान थे. चौथी चारपाई को कुछ दूरी पे रखा गया था और उसपे नीच जाती के दो बुज़ुर्ग, किसान कुम्हार और छेदि मल्लाह बैठे थे. पंडित जी और दोनो ठाकुर अपना अपना हुक्का गुड-ग्डा रहे थे जबकि किसान कुम्हार और छेदि मल्लाह अपने सूखे होंठों पे बीच बीच में जीभ फिरा लेते थे. कहना मुश्किल था कि वो ऐसा हुक्के के लालच में कर रहे थे या पंचायत की खबराहट की वज़ह से.

15-20 साल पहले तक भी, सोचना भी नामुमकिन था कि गाओं की पंचायत में नीच जाती के प्रतिनिधि हो सकते हों……मगर जबसे समय बदला, लालू-मायावती का ज़माना आया और ग्राम स्तर पर भी पिकछडी जातियों को प्रतिनिधित्व मिलने लगा था. ठाकुर-बामान भी इस बात से डरते थे कि कहीं कोई नास्पीटा उन्हें शहरी अदालत में ज़ुल्म के मामले में ना घसीट ले और अन्मने मंन से उन्होने पंचायती स्तर पे भी पिछड़ी जात वालों को प्रतिनिधित्व देना शुरू कर दिया था………चेहरे पे बेतरतीब दाढ़ी वाला किशन कुम्हार और घबराया हुआ चीदी मल्लाह इसी प्रतिनिधित्व के प्रतीक थे.

पाँचों के सामने, एक तरफ गाओं के पगड़ी धारी ठाकुर और ब्राह्मण बैठे थे, और उनसे कुछ ही दूर गाओं का बनिया और वश्य समाज के चंद और प्रतिनिधि बैठे थे. दूसरी ओर गाओं के डोम-चमार-मल्लाह-नई वग़ैरह बैठे थे. ज़ाहिर है, किसी के सिर पे कोई पगड़ी नहीं थी. सभी ठाकुर-बामान चारपाइयों और मोडो पे बैठे थे जबही नीची जात वाले ज़मीन पे बैठे थे. किसी को कुछ भी अटपटा नहीं लग रहा था.

एक ठाकुर नौजवान, नीलेश सिंग खड़ा हुआ और उसने हाथ के इशारे से सबको खामोश होने को कहा. सभी एकदम से खामोश हो गये. नीलेश ने अपनी जेब से एक काग़ज़ का टुकड़ा निकाला और पढ़ना शुरू किया,”आदरणीय सरपंच महोदय! मान-नीया पॅंच गनो और ग्राम ब्रिज्पुर के निवासीयो………….इतिहास गवाह है परम पिता परमेश्वर की असीम कृपा से, इस गाओं पे हमेशा ईश्वर की अनुकंपा बनी रही है और जब भी कोई मामला पंचायत तक पहुँचा है, पाँच परमेश्वर ने हमेशा न्याय ही किया है. हमें आशा ही नहीं, बिस्वास है, कि आज भी यही होगा. मुक़द्दमा गाओं की ठकुराइन, श्वर्गीय श्री शौर्या सिंग जी की बाहू, आदरणीया रूपाली सिंग की ओर से दायर किया गया है…….उनका संगीन आरोप ये है, इसी गाओं के श्री कालू, श्री सत्तू, श्री मुंगेरी और श्री मोतिया ने कल रात, पक्शिम दिसा के खीतों में, उनकी और इसी गाओं की कुमारी कमला की इज़्ज़त लूटी है….अब आगे की कार्यवाही, आदरणीया सरपंच, पंडित मिश्रा जी को सौंपते हुए उनसे सभी ग्राम वासियों की तरफ से दरख़्वास्त की जाती है कि वो न्याय और सिर्फ़ न्याय करें

पंडित मिश्रा जी ने अपना हुक्का एक ओर सरकाया और अपना गला खंखारते हुए, गंभीर आवाज़ में सामने सिर झुकाए बैठी हुई रूपाली से बोले,” वादी ठकुराइन श्रीमती रूपाली सिंग जी?”…………….रूपाली ने, जो लंबे घूँघट में सफेद सारी-ब्लाउस में थी, घूँघट के अंदर से ही सिर हिलाकर हामी भरी. पंडित जी बोले,”प्रतिवादी, कालू, मोतिया, मुंगेरी और सत्तू?” चारों चमार, जो सामने ज़मीन पे बैठे थे झट से बोले,”जी परमात्मा.”

पंडित मिश्रा: श्रीमती रूपाली जी. विस्तार से बतायें क्या हुआ आपके साथ. घबराएँ नहीं, यहाँ, सब अपने ही लोग हैं.

रूपाली: प्रणाम पंडित जी…..(झिझकते हुए), वो कल, हमने सोचा कि हवेली के आस-पास उगी घास-झाड़-पतवार की…..

पंडित मिश्रा: हां हां…आगे बोलो…घबराव नहीं…….

और धीरे धीरे रूपाली ने सारा किस्सा बयान किया. कि कैसे उसने सोचा था की वो कोई गाओं का मज़दूर हवेली लाएगी और पैसे दे कर हवेली की आस-पास सफाई करवाएगी…..कैसे उसने शाम के ढूंधलके में कमला की चीख सुनी……कैसे उसने कमला को बचाने की कोशिश की थी और कैसे उल्टा उसी की इज़्ज़त तार-तार कर बैठे थे ये चार वहशी दरिंदे. अपना पूरा दर्द बयान किया रूपाली ने और सिसक सिसक कर रोने लगी.

गाओं की एक-दो बुज़ुर्ग ठकुराइनो ने आगे बढ़कर उसे सीने से लगा लिया और उसके सिर को सहलाने लगी

पंडित मिश्रा ने चारों अभियुक्तों पे एक नज़र डाली और पूछा उन्हें कुछ कहना है?

कालू (गिड़गिदाते हुए): झूट है मालिक, एक दम झूट है. ईस्वर की सौं ऐसा कच नाई भया.

सत्तू, मोतिया और मुंगेरी ने भी उसकी हां में हां भरी.

रूपाली सन्न थी. उसे उम्मीद थी ये कमीने गिड़गिडाएंगे, माफी माँगेंगे मगर ये तो सॉफ मुकर रहे थे.

ठाकुर सरीराम : अभियुक्तों को अपनी सफाई में क्या कहना है?

अभियुक्त:
धीरे धीरे सत्तू और मोतिया ने बारी बारी से अपनी सफाई पेश करनी शुरू की.

कुल मिला कर उन की बातों का सार यह था की, रूपाली की ये बात सच थी की वो चारों खेत में बैठकर शराब पी रहे थे…….ये भी सच था की उन्होने वहीं पर खाना भी खाया था और ये वो चारों खेतों में अक्सर करते थे. उनके मुताबिक वो चारों खा-पी रहे थे, हँसी-थॅटा कर रहे थे और अचानक मुंगेरी को लगा था कि खेतों से किसी औरत के धीमे से हँसने की आवाज़ आई थी. बाकी तीनो ने इसे मुंगेरी का भ्रम या नशे की अधिकता समझा लेकिन कुछ देर बाद जब कालू को भी ऐसा लगा खेत से आआवाज़ें आ रही है तो वे चारों आवाज़ के स्रोत को ढूँदने में लग गये और जल्दी ही उन्होने वो जगह ढूँढ ली जहाँ कुछ गन्ने उखाड़ के थोड़ी जगह समतल की गयी थी…..और फिर……उन चारों की आँखें फटी की फटी रह गयी……

सत्तू: हुज़ूर…हम देखे….हम देखे की ठकुराइन खेत मा नंगा लेटी रहीं…..और उनका ऊपर…उनका ऊपर……ई गूंगा चंदर रहा…….” और उसने अपनी उंगली वहाँ पे खामोशी से बैठे चंदर की ओर घुमा दी.

रूपाली चिल्लाई,”क्य्ाआआआआआआआआआआआआआअ????? कामीनो! झूट बोलते ज़बान ना जल गयी तुम्हारी. हरामजादो……..ये गूंगा बेचारा तो रात भर हवेली में था……गंदे काम करते हो और बेज़ुबान पे इल्ज़ाम लगाते हो कामीनो……..भगवान करे निर्वंश हो जाओ तुम………कोई आग देने वाला ना रहे तुम्हारे गंदे बदन को…..”

ठाकुर सरी राम ने रूपाली को पंचायत की बे-अदबी ना करने की सलाह दी और वो एक आह भरके चुप बैठ गयी.

कालू और मोतिया ने मज़े ले लेकर बयान किया कि कैसे कैसे चंदर और रूपाली ने उनकी नज़रों से बेख़बर, अलग अलग मुद्राओं में हवस के सागर में गोते लगाए थे. मुंगेरी सिर झुकाए सब कुछ चुप चाप सुन रहा था.

पॅंच छेदि मल्लाह ने अपने तंबाखू से सड़े हुए दाँत निकाले और बोला,”ठकुराइन ने कहा है कि हमरे गाओं की कमला की इज़्ज़त से भी खिलवाड़ किए हैं ये चारों……सरपंच महाराजा की आग्या हो तो कमला को भी बुलवाई लिया जाए.”

आग्या मिलते ही 2-3 चमार महिलाओं ने आवाज़ लगाई,”कमलाअ….आए कमलाअ…” और थोड़ी देर में सिर झुकाए गथे बदन की साँवली सलोनी, मांसल कमला पंचायत के सामने थी. उसके चुतड़ों का कटाव और सखत चूचियों का उभार देख कर गाओं के काई चमार और ठाकुर छोकरो ने आहें भरी. कुछ चमार छोकरे रूपाली के पैरों की गोरी गोरी उंगलियों और हाथों की गोरी खूबसूरती को देख के अंदाज़ा भर लगा रहे थी कि कितना मज़ा आया होगा या तो चंदर को या फिर इन चार बूढ़े चमारों को.

गाओं के केयी लंड कसी हुई धोतियों और पायज़ामो के अंदर कसमसा रहे थे साँस लेने के लिए और पूर्णा आज़ादी पाने के लिए. एक दुबला पतला चमार छोकरा ये नहीं तय कर पा रहा था कि अगर उसको ठकुराइन और कमला दोनो चोद्ने को मिल जाएँ तो वो पहले किसको चोदेगा?

कमला के खुले सिर पे एक नज़र डालते हुए ठाकुर रणबीर सिंग उसके बाप, झूरी मल्लाह की ओर देखते हुए गरज के बोले,”आए झूरी…..ठाकुरान के आगे कैसे पेश आते हैं, तहज़ीब नहीं है तोहरी मौधी को?”

घबरा के झूरी ने अपने सिर के ऊपर 2-3 बार हाथ फिराया……इशारा समझ कर फ़ौरन कमला ने अपने सिर के ऊपर दुपट्टा रख लिया अपना. सिर और मुँह आधा ढक गया था और छाती की गोलाइयाँ पूरी छिप गयी थी. गाओं के कयि चोकरो को रणबीर सिंग पे गुस्सा आ रहा था.

किसान कुम्हार: आए मौधी….तू कल साम खेत मा का करने गयी थी?

कमला: खेत मा? हम तो पूरी रात अपने घर मा ही थे.

सन्न सी रह गयी रूपाली चिल्लाई,”क्या बक रही है कमला? तू नहीं चाहती इन पापियों को इनके किए की सज़ा मिले?”

कमला ने अपराध बोध से रूपाली को एक पल के लिए देखा और फिर बोली,”हमसे झूट ना बुलवाओ ठकुराइन…..किसी ने कुछ नहीं किया हमरे साथ……” और वो रोती हुई, अपने घर की ओर भाग गयी थी.

रूपाली अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती थी कि कैसे कमला के ग़रीब मा-बाप ने उसको धमकाया था कि अगर किसी को इस हादसे की भनक भी पड़ गयी तो कोई उसके साथ शादी-बियाह नहीं करेगा और पूरी ज़िंदगी उसे रांड़-पातुरिया का जीवन निभाना पड़ेगा.

मा-बाप और उसकी मामी ने उसको समझाया था की अगर पंचायत बैठी, तो सॉफ सॉफ मुकर जाने में ही उसकी और खानदान की भलाई है. झूरी ने सॉफ कहा था कि अगर उसने पंचायत में कहा कि उसकी इज़्ज़त खराब हो चुकी है, तो वो पहले उसका गला काटेगा और फिर खुद फाँसी लटक जाएगा.

गुस्से से बिफरी हुई रूपाली ने समस्त चमारों को मन में गाली दी और दिल में कहा,”हराम ज़ादी…रंडी कमला.”

मोतिया और सत्तू झिझक झिझक कर, अटक अटक के सबको बता रहे थे कि कैसे चंदर और रूपाली खेत में रास लीला रचा रहे थे. कालू ने 2-4 बातें और जोड़ी और कहा कि जैसे ही मालकिन की नज़रें हम पर पड़ी, उन्होने किसी को कुछ ना बताने को कहा…….सत्तू बोला,”ठकुराइन ई भी कहे रही…कि चाहो तो हमरे संग सो जाओ….मगर किसी के कछु नयी कहो…हाथ जोड़ी तुम्हरा…”

उन चारों ने अपने अपने ईष्ट देव की कसम खाई और कहा कि उन चारों ने तो तय कर लिया था कि किसी को कुछ नहीं कहेंगे…….मगर यहाँ तो मामला ही उल्टा था? ठकुराइन ने तो घबराहट में उन्ही के ऊपर उल्टा मुकद्दमा दायर कर दिया था.

सभी पंचों ने आपस में कुछ गुप-चुप सलाह मशविरा किया और गाओं के 2-3 बामन-ठाकुर और 2 चमार चोकरो को फ़ौरन खेत जा कर मौके का मुआयना करने को कहा………और कहा कि अगर कुछ भी मौके से मिले तो ले कर पंचायत वापस आ जाएँ.

सभी छोकरो को इस कार्यवाही में बड़ा मज़ा आ रहा था…..इसलिए वो बड़े अनमने मन से खेतों की ओर चल दिए.

इस दौरान सभी लोगों के बीच हलचल मची हुई थी. ठाकुर-बामनो को लग रहा था चमारों ने ना सिर्फ़ रूपाली की इज़्ज़त लूटी बल्कि अपनी छोकरी को डरा-धमका लिया है.

नीची जाती वाले रूपाली को नफ़रत से देख के सोच रहे थे कोई अपनी हवस के लिए इतना गिर सकता है क्या? उन्हें लग रहा था रूपाली ने उनके समाज के चार प्रतिस्थित बुज़ुर्गों पे प्रहार किया है.

एक ठाकुर घर से कुछ औरतें चाय लेकर आई और उन्होने सभी पंचों को चाय दे दी. मिश्रा जी, रणबीर साइ और ठाकुर सरी राम को स्टील की गिलास में और किसान कुम्हार और छेदि मल्लाह को काँच के गिलास में. कुम्हार और मल्लाह जानते थे ऐसा क्यूँ है. उन्हें मालूम था बाद में ये गिलास तोड़ दिए जाएँगे……किसी को कुछ भी अटपटा नहीं लगा….यही सदियों की रीत थी.

कोई 30-40 मिनिट बाद, जो छोकरे खेतों की तरफ गये थे, वो वापस आ गये. उन्होने कुछ खाली देसी शराब की बोतलें, कुछ चूड़ियों के टुकड़ों के अलावा……एक गंच्छा भी पाँचों को सौंप दिया…..एक लाल-सफेद गंच्छा!

जैसे ही गम्म्छे पे नज़र पड़ी, बेवकूफ़ गूंगा चंदर उठा और घहों-घों की आवाज़ के साथ इशारे से कहने लगा कि गमछा उसका है…..रूपाली का चेहरा ऐसा हो गया था मानो काटो तो खून नहीं.

छेदि मल्लाह ने खीसे निपोर्ते हुए कहा,”ठकुराइन, आप तो कहती थी ये गूंगा पूरी रात हवेली मा था……फिर, ओइका गमछा आप लाई गयी थी का?”…

सभी चमारों ने एक ठहाका लगाया.

ठाकुरों को ये नागवार गुज़ारा और ठाकुर सरी राम ने कहा,”रूपाली जी, आप ने कहा चंदर हवेली में ही था….फिर उसका ये गमछा खेत कैसे पहुँचा.” रूपाली ने सिर झुका के कहा,”हमे नहीं मालूम ठाकुर साहब……ये कालू ने वहाँ रख दिया होगा.”

कालू ने कातर नज़रों से पंचों को देखा और गिड़गिदाया,”माई-बाप, कसम ले लो जो हम आज एक बार भी खेत की तरफ गये रहीं….पूरे दिन घर मा थे मालिक…”

पंचों ने कुछ वक़्त माँगा और अंदर घर में जाकर आपस में बहुत देर तक सलाह मशवरा किया. इस दौरान, गाओं के छोकरे रूपाली का उदास, खूबसूरत चेहरा देख देख के सोच रहे थे…काश….ये मोटे रसीले होंठ उन्होने चूसे होते. एक दुबला सा ठाकुर छोकरा इतना थर्कि था की अपना निचला होंठ चबा बैठा और उसके मुँह से निकला,”सीईईईस…हाए.” उसके बगल में खड़े उसके दोनो दोस्तों ने ये देखा और धीरे से हँसने लगे.

15 मिनिट बाद पाँच बाहर निकले और सरपंच मिश्रा जी ने कहा,”बड़े खेद की बात है कि वादी श्रीमती रूपाली सिंग ने अपनी हवस मिटाने के लिए एक नौकर के साथ खुले आम ना सिर्फ़ रास-लीला रचाई बल्कि अपनी बदनामी ना हो, इस लिए श्री कालू, श्री सत्तू, श्री मोतिया और श्री मुंगेरी के खिलाफ नितांत झूठे आरोप भी लगाए हैं. सभी पंचों की राय और विचारों पे गेहन मंथन के बाद, ग्राम पंचायत का निर्णय है की श्रीमती रूपाली सिंग को जात से बाहर किया जाता है. आज से श्रीमती रूपाली सिंग की हवेली से कोई ग्राम नागरिक, कोई संबंध नहीं रखेगा और इनका हुक्का-पानी बंद किया जाता है…………

….और हां…..ताकि इस गूंगे के साथ, इनकी रास लीला फ़ौरन बंद हो और ये अपने नामी ससुर के खानदान की इज़्ज़त और खराब ना करें, इसलिए इस चंदर गूंगे को फ़ौरन गाओं से निकालने का हूकम दिया जाता है……………..और गाओं का और कोई नौजवान इस घटना से सबक ले, इसलिए इस गूंगे को बेइज़्ज़ती से बाहर किया जाए. जाई गंगा मैय्या की.”

सारा चौपाल,”हर हर महादेव……जाई गंगा मैय्या की……..पाँचों की जाई हो,” के नारों से गूँज उठा.

आनन फानन में गाओं के छोकरे एक गधा पकड़ लाए…….चार छोकरो ने चंदर के हाथ पावं पकड़े और गाओं के नाई ने उसके सिर पे उस्तरा फिराना शुरू किया. गंजे होते हुए चंदर के चेहरे पे कोई थूक रहा था कोई कालिख मल रहा था……कुछ मनचलों ने फटे हुए जूते चप्पालों की माला बनाई और उसकी गर्दन में पहना दी. फिर उसका पूरा मुँह काला करके गधे पे उल्टा बैठाया और चल दिए गाओं की परिक्रमा करने. छोकरे हहा-हहे कर रहे थे और कुछ छ्होटे बच्चे, जो ऊपर से कमीज़ पहने थे….मगर नीचे से नंगे थे, तालियाँ पीटने लगे.

चंदर का जुलूस पूरे गाओं में निकाला गया और फिर उसे मार मार कर गाओं से निकाल दिया गया.

ये सब होने से बहुत पहले, रूपाली पंचायत से ऐसे उठी थी मानो कोई जिंदा लाश हो. किसी तरह अपने कदम घसीटते हुए हवेली पहुची…….अब वीरान हवेली थी…..और वो बिल्कुल अकेली थी……..सुनसान हवेली में एक मनहूस साए की तरह!

दोस्तो हमारे आस पास आज भी ना जाने कितनी रूपाली सारे आम बेइज़्ज़त होती और ना जाने कितनी कमला अपनी बदनामी के डर से चुप रह जाती है दोस्तो आपको कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा