Saturday, 20 February 2021

चोद चोद कर साली की हालत खराब कर दी

दोस्तो, मेरा नाम सौरभ है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 26 साल है अभी 2 साल पहले ही मेरी शादी हुई है. मेरे लंड का साइज 7 इंच है ये मोटा और गोरा है.
आप मेरी जीजा साली सेक्सी कहानी का मजा लीजिये.

मैं और मेरी वाइफ एक फ्लैट में रहते हैं. मेरी बीवी दीक्षा एकदम कमाल की है, उसकी चूत से मेरा लंड बहुत खुश है. लेकिन मेरे लंड को हर महीने एक नए छेद को चोदने का मन करता है, तो मैं कभी कभी होटल में किसी कॉलगर्ल को चोद लेता हूं. पर अब मेरी किस्मत खुलने वाली थी.

लगातार चुदाई के कारण मेरी वाइफ प्रेग्नेंट हो गई थी, तो अब मेरे लंड का काम नहीं चल रहा था. हम दोनों सेक्स के मज़े नहीं ले पा रहे थे.

चूंकि गर्भावस्था में भी मेरी बीवी को घर का काम करना पड़ता था, जिससे वो काफी थक जाती थी.

एक दिन उसने मुझसे कहा- क्यों न मैं अपनी बहन समीक्षा को बुला लूं, वो मेरी बहुत हेल्प करेगी.
मैंने कहा- उसे इधर दिक्कत नहीं होगी?
तो बीवी ने कहा- अरे कुछ दिक्कत नहीं होगी, फिर कुछ ही महीनों की तो बात है.
मैं अपने अन्दर की ख़ुशी को छिपाते हुए उससे हां कह दिया.

समीक्षा मेरी साली है, वो अभी कॉलेज में पढ़ती है. समीक्षा देखने में मस्त माल लगती है. उसके दूध बड़े बड़े और एकदम तने हुए हैं … मस्त फिगर है.

उसके एग्जाम हो चुके थे, तो मैंने अपनी ससुराल में फोन पर बात की और जाकर उसको अपने घर ले आया.

दोस्तो, जब मैं अपनी साली को लेने गया, तभी मैंने सोच लिया था कि अब दीक्षा की चूत की कमी मेरी ये साली पूरी करेगी.

समीक्षा मेरे साथ मेरे घर आ गई थी.

दो दिन बाद मैंने दीक्षा से कहा कि यार अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है … बहुत दिनों से मैंने तुम्हें चोदा नहीं है. मेरे लंड का हाल बेहाल है.
तो वो कहने लगी- तुमने ही तो मेरा ये हाल कर दिया है, बताओ अब मैं क्या करूं. एक काम करो तुम हाथ से काम चला लो. तुम तो जानते ही हो कि अभी हम दोनों सेक्स नहीं कर सकते हैं. हमारे होने वाले बच्चे का सवाल है.

मैंने कहा- यार तुम्हारी बहन मेरी आधी घरवाली है, क्यों न तुम मुझे उसका स्वाद चख लेने दो.
दीक्षा ने मना कर दिया. वो कहने लगी- नहीं, तुम मेरी फूल सी बहन को हैवानों की तरह चोदोगे, मैं तुम्हें ऐसा कभी नहीं करने दूंगी. मुझे तो तुम्हारा लंड लेने की आदत है, मगर वो तुम्हारा लंड सहन ही नहीं कर पाएगी.

मगर मैंने किसी तरह से अपनी बीवी दीक्षा को मना लिया.

समीक्षा अपने कमरे में सोती थी, हम लोग अलग अपने कमरे में सोते थे. समीक्षा मुझसे बहुत मजाक करती थी. मैं भी उससे मजाक करता रहता था.

एक दिन मैं ऑफिस से आकर सोफे पर बैठा ही था कि समीक्षा बोली- जीजू मैं आपके लिए चाय ले कर आऊं!
मैंने उससे कहा- नहीं, मैं आज दूध पियूंगा, तुम मुझे दूध पिला दो.
उसने मुझे देखा और हल्की सी स्माइल देकर कहने लगी- अच्छा आपको दूध पीने का मन है, रुको मैं अभी लाती हूँ.

उसकी वो स्माइल मुझे अच्छी लगी. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई.

वो एक गिलास में दूध लेकर आई और झुक कर मुझे गिलास पकड़ा दिया.

उसके टॉप में से झांकते मम्मों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने उसकी दूध घाटी देखते हुए गिलास ले लिया और पूछा- गर्म है न!
वो इठला कर बोली- आप होंठ तो लगाओ, एकदम गर्म दूध है.

मैंने गिलास लेकर उसे आंख मार दी और दूध पीने लगा.

वो मेरे दूध पीने तक मेरे सामने ही बैठी रही. मैं भी दूध पीते हुए अपने होंठों पर जीभ फेर कर उसे देखते हुए बोला- हां बहुत गर्म दूध है, मजा आ गया.

वो हंस दी.

फिर शाम को समीक्षा अपने ब्वॉयफ्रेंड से चैट कर रही थी. मैंने उसका मोबाइल ले लिया और उन दोनों के बीच हुई चैट को पढ़ने लगा. मैंने देखा कि उसने अपने ब्वॉयफ्रेंड से एडल्ट बातें लिखी थीं.

मैंने उससे कहा- क्यों साली जी, ये सब क्या है?
वो शर्माने लगी.
मैंने देखा तो उसमें उसकी कुछ नंगी फोटो भी पड़ी थीं.
मैंने कहा- वाह बड़ी हॉट हो, कभी मुझे भी तो इनका स्वाद चखने दो.
वो उठ कर मोबाइल छुड़ा कर भाग गई.

अब वो मुझसे नजर नहीं मिला रही थी.

रात को जब वो खाना लगा रही थी, तो मैं उसके करीब हुआ और मजाक में उसके मम्मों पर हाथ फेर दिया.

उसने कुछ नहीं कहा. बस एक बार मुझे देखा और मुस्कुरा दी.

वो बोली- दीदी को बता दूं?
मैंने कहा- तुम क्या बताओगी जानेमन, मैं ही बता देता हूँ.

इससे वो हैरान हो गई और मैं और बिंदास हो गया.

मैंने ये बात अपनी बीवी दीक्षा को बताया, तो वो मुझे धौल जमाते हुए बोली- तुम नहीं सुधरोगे.
मैंने अपनी बीवी से कहा कि आज रात में मैं समीक्षा को चोदूंगा.
वो कहने लगी- कैसे?
मैंने कहा- आज वो हमारे साथ सोएगी. तुम बस सोती रहना, जागना मत. यदि जाग भी जाओ, तो भी उठना मत. यदि समीक्षा तुमको जगाए, तो भी मत जागना.
उसने कहा- ठीक है.

फिर खाना खाने के बाद हम लोगों ने एक हॉरर मूवी देखी. समीक्षा को उस मूवी से बहुत डर लग रहा था.

वो डरने लगी और मूवी बंद करने के लिए कहने लगी. मगर मैंने न तो मूवी बंद की और न ही उसे जाने दिया.

मैंने यह प्लान जानबूझ कर बनाया था.

उसने दीदी से कहा- दीदी मुझे डर लग रहा है, आप जीजू को बोलो न! मुझे रात को उस कमरे में नींद ही नहीं आएगी.
ये सुनकर दीक्षा कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराती रही.

मैंने कहा- कोई बात नहीं है समीक्षा. तुम यहीं सो जाना. हम बगल में होकर सो जाएंगे.

मगर वो पहले अपने रूम में चली गई.
उसके दिमाग में हॉरर मूवी ही घुसी थी और उसे डर लग रहा था.

करीब 11 बजे वो हमारे रूम के बाहर खड़ी होने दरवाजा खटखटाने लगी.

मैं बाहर आया और पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- जीजू मुझे डर लग रहा है, नींद नहीं आ रही है.
मैंने कहा- मैंने तो पहले ही कहा था कि मेरे कमरे में ही सो जाना.

उसने कहा- तो मैं आपके बेड पर आप दोनों के साथ सो सकती हूं?
इस पर दीक्षा ने कहा- हां समीक्षा ठीक है, तुम यहीं सो जाओ.

दीक्षा मुझे देख कर मुस्कुराने लगी.

मैं समीक्षा को अन्दर आने का कह कर बेड पर लेट गया. फिर समीक्षा हम दोनों के बीच में आकर लेट गई.

अब हम तीनों अलग अलग चादर में थे.

करीब आधे घंटे बाद उसने दीक्षा को आवाज देते हुए कहा- दीदी सुनो.

मगर दीक्षा सो चुकी थी, तो उसने जवाब नहीं दिया.

मैंने कहा- क्या हुआ, बोलो … वो सो चुकी है, बेचारी परेशान हो जाती है थक जाती है इसलिए उसे सोने दो. दीक्षा को जगाना मत, नहीं तो फिर उसकी नींद नहीं लगती है.
समीक्षा ने कहा- ठीक है जीजू. आप मुझसे कुछ देर बात करो न .. मुझे डर लग रहा है.

मैंने उससे बात करते हुए कहा- तुम्हारी दीदी को एक लड़का चाहिए. मैं भी चाहता हूँ कि उसको लड़का ही हो.
समीक्षा ने कहा- जीजू आपने कभी बताया ही नहीं कि आप लोगों ने बच्चा कब प्लान कर लिया.
मैंने कहा- ये काम बता कर थोड़ी किया जाता है, ये तो हो जाता है.
वो हंसने लगी.

मैंने कहा- तेरी दीदी को बेबी बहुत पसंद है.
उसने मुझसे कहा कि हां अब मुझे भी दीदी से एक छोटा सा बेबी चाहिए.
मैं कहा- हम दोनों ने …

इतना बोल कर मैं चुप हो गया.

समीक्षा बोली कि आप दोनों ने क्या … पूरी बात बोलिए न.
फिर मैंने कहा- रहने दो, तुमसे ये सब कहना अच्छा नहीं लगेगा.
उसने कहा- जीजू, मैं आपकी आधी घर वाली हूँ … और आप मुझसे ये सब क्यों छुपा रहे हो. प्लीज़ बताओ न.
मैंने कहा- ओके तो सुनो, अभी शायद तुम्हें पता नहीं है. हम दोनों ने प्लान किया था .. और सही टाइम पर मैंने उसके साथ सेक्स करके उसको प्रेग्नेंट कर दिया.

समीक्षा मेरे सेक्स करने की बात को सुनकर कुछ मूड में आने लगी. वो कुछ कहना चाहती थी. मगर फिर चुप हो गई.

मैं और उकसाते हुए कहा कि अब देखो क्या हाल हो गया है. इसका पेट कितना ज्यादा फूल गया है. फसल लहलहाने लगी है.
वो बोली- तो क्या हुआ, फसल तो लहलहाएगी ही … आप इतने परेशान क्यों हो रहे हो.
मैंने ठंडी आह भरते हुए कहा- तुम मेरी परेशानी नहीं समझोगी. बहुत दिन हो गए .. हम दोनों वो सब कर ही नहीं पा रहे हैं.
उसने समझते हुए कहा- अच्छा जी ऐसा है. अब आप दोनों ने ये सब किया है, तो आप ही भुगतो … और अब सो जाओ जीजू.
वो मुझसे गुड नाईट कह कर सोने लगी.

मैंने भी कहा- हां ठीक है, सो जाओ. मेरा दर्द तुम कैसे समझोगी!
वो हंस कर आंख बंद करके सोने लगी.

मैंने सोचा कि आज की रात मौका अच्छा है, जैसा मैंने सोचा था, वैसा हो जाएगा.

दस मिनट बाद मैंने समीक्षा की तरफ करवट ले ली और उसके ऊपर हाथ रख दिया. वो सो चुकी थी, तो उसको कोई अहसास नहीं था.

मैंने थोड़ी हिम्मत करके आराम आराम से उसके मम्मों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. दोस्तो वो जाग चुकी थी, लेकिन उसने मेरा विरोध नहीं किया.

मैं सोच में पड़ गया कि समीक्षा शायद सो रही है मगर जानबूझ कर कुछ कह नहीं रही है. चूंकि मेरी बीवी की तरफ से मुझे दिक्कत होने वाली नहीं थी, तो अब मेरी हिम्मत बढ़ गई. मैंने उसके मम्मों को दबाना चालू कर दिया.

वो एकदम से उठ गई और उसने मेरा हाथ अलग कर दिया और कहने लगी- जीजा जी, आप ये क्या कर रहे हो?
मैंने उससे धीमे से कहा कि चुप रहो नहीं तो तेरी व्हाट्सएप वाली बात तेरी दीदी को अभी बता दूंगा.
वो डर कर कहने लगी- नहीं, जीजू उनको मत बताना.
मैंने कहा- ठीक है, तो मैं जो कर रहा हूँ, मुझे करने दो और मजा लो. तुमको भी तो यही सब चाहिए था. समझो कि मैं तेरा जीजू नहीं ब्वॉयफ्रेंड हूँ. बस तू शांत लेटी रह.

बस फिर क्या था, वो चुप रही और उसने मुझे रोकना बंद कर दिया.

मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कमरे की लाइट तो पहले से ही ऑफ थी. नाईट बल्व में इतना उजाला नहीं था कि ने उसके नंगे बदन मैं निहार सकता.

कुछ ही देर में वो पूरी नंगी लेटी थी. मैंने उसको किस करना शुरू कर दिया और उसके मम्मों को सहलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतारे और अपनी साली समीक्षा की चूत पर अपने मुँह को रख दिया. उसकी चुत पानी छोड़ रही थी.

मैंने उसकी चुत चाटी और उससे कहा- साली साहिबा आपकी फुनिया तो कितनी बह रही है.
वो मेरा सर अपनी चुत पर दबाते हुए बोली- पहले तो गर्म कर दिया. अब कह रहे हो बह रही है.
मैंने कहा- चलो अब मेरा भी चूस दो तो तुम्हारी नदी को मैं साफ़ कर दूं.

ये कह कर मैं 69 में हो गया और अपने लंड को उसके मुँह पर रख दिया.

पहले वो मेरे लंड को चूसने के लिए राजी नहीं हो रही थी. मगर मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में लंड डाल दिया. उसको मेरे लंड को अपने मुँह में लेना ही पड़ा. हम दोनों इस पोजीशन में एक दूसरे के लंड चुत को चूसने लगे थे.

मैंने मस्ती से उसकी चूत चूसनी शुरू की. वो भी मजे ले लेकर मेरे लंड को चूसने लगी. मैं उसकी चूत पर अपनी पूरी जीभ को ऊपर से नीचे तक घुमा रहा था.

कुछ समय बाद हम दोनों ऐसी ही पोजीशन में झड़ गए.

वो एकदम से हांफने लगी थी. मैं भी मजे में था. फिर हम दोनों सीधे लेट गए. वो ढीली हो चुकी थी, लेकिन मैंने उसको गर्म किए रखा और उसको किस करता रहा.

थोड़ी देर में मेरा लंड कड़ा हो गया और मैंने उससे कहा कि तू अब जल्दी से अपनी दीदी की कमी पूरी कर दे बस.
वो बोली- तो अब तक क्या कर रही थी?
मैंने कहा- वो तो ठीक है, मगर बिना चुदाई के मजा कहां आता है.
वो बोली- तो वो शौक भी पूरा कर लीजिए जीजू, मैं किधर रोक रही हूँ.

ये सुनकर मैंने उसको दूसरी साइड आने का कहा और करवट लेकर लेटने को कहा.कमरे में बेड पर एक तरफ मेरी बीवी दीक्षा सो रही थी. दूसरी तरफ मैंने अपनी साली समीक्षा को लिटाया हुआ था.

समीक्षा कहने लगी- यदि बीच में दीदी जाग गईं, तो क्या होगा जीजू?
मैंने कहा- तू उसकी चिंता मत कर, मैं सब देख लूंगा.

वो चुदने के लिए रेडी हो गई.

मैंने उसकी चूत पर अपना सांप की तरह फुंफकार मारता लंड रखा और अपनी साली की चुत की फांकों रगड़ने लगा.

वो पूरी गर्म हो चुकी थी. वो भी कहने लगी- आह जीजू क्यों तड़फा रहे हो, अब जल्दी से अन्दर डाल दो.

कमरे में अंधेरा था, तो मैंने चुत पर लंड रगड़ते हुए उसकी एक टांग ऊपर को उठाई और लंड के सुपारे को चूत की दरार में रखकर धक्का दिया. मगर मेरा लंड अन्दर नहीं गया.
फिर मैंने कहा- समीक्षा यदि दर्द हो तो मुझे बता देना, लेकिन चिल्लाना मत … नहीं तो तेरी दीदी जाग जाएगी.
वो बोली- हां मुझे मालूम है कि चीखना नहीं है. मगर अब देर क्यों कर रहे हो. आप जल्दी से पेलो न!
मैंने कहा कि ओके, तू अपने हाथ से अपने छेद पर लंड को फिट कर.

उसने अपने हाथ से लंड पकड़ा और चुत पर रख कर उसपर हाथ लगाए रही.

मैं जानता था कि लंड घुसेगा, तो ये साली जरूर चिल्ला देगी.
मैंने उसके मुँह को अपनी तरफ करके उसके होंठों पर होंठ रखते हुए उसे किस करने लगा ताकि वो चिल्ला न सके.

वो मस्त हुई, तो मैंने एक जोर से झटका दे दिया. उसकी चूत में मेरा लंड सरसराते हुए अन्दर चला गया. जैसे ही लंड अन्दर गया, उसने होंठ दूर करके चिल्ला दिया और रोने लगी. उसके आंसू बहने लगे.

रोने की वजह से से दीक्षा भी जाग गई थी, लेकिन वो सब मामला समझ रही थी इसलिए उठी ही नहीं और सोने का नाटक करती रही. मैं लंड घुसेड़ कर रुक गया.

दो पल बाद मैंने उसके मुँह पर हाथ रखते हुए फिर से लंड को धक्का दे दिया. वो छटपटाने लगी.

दीक्षा ने मेरे हाथ को पकड़ कर इशारा किया कि थोड़ा रुक जाओ … और आराम आराम से करो.

मैंने अब आराम आराम से लंड को अन्दर बाहर किया. कुछ देर की पीढ़ा के बाद समीक्षा का दर्द कम हो गया था. वो अब अपनी गांड हिलाते हुए मजेदार मूड में मेरा साथ देने लगी थी.

मैं उसकी मस्ती देख कर उसको धकापेल चोदने लगा.

फिर मैंने उसको बेड के नीचे खींचा और मैं नीचे बैठ गया. फिर अपनी साली मैंने समीक्षा को अपने ऊपर बिठा लिया.

वो मेरे लंड की सवारी करने की पोजीशन में आ गई थी. मैंने फिर से उसकी चूत में अपना लंड डाला और गांड उठाते हुए चुत में लंड के धक्के देने शुरू कर दिए.

समीक्षा के मुँह से अब मस्ती से ‘अअअह ऊऊह मम्मीईई … मैं मर गई मम्मीईई … अअअह जीजू मजा रहा है. आह .. चोदो … जीजू अअअह.
उसकी कामुक आवाजें मेरा जोश बढ़ा रही थीं.

मैंने उससे कहा- जान धीरे बोलो, तेरी दीदी जाग सकती है, ज्यादा चिल्लाओ मत.
उसने कहा- जीजू मैं कोशिश तो कर रही हूं. लेकिन मेरी चीख निकल ही रही है, मुझे मज़ा भी आ रहा और दर्द भी हो रहा है.

मैंने उसे ज्ञान देना बंद किया और उसके दूध पकड़ कर चुत चुदाई की स्पीड एकदम से दुरंतो मेल के जैसे बढ़ा दी.

ताबड़तोड़ चुदाई होने लगी थी.

छह सात मिनट में ही वो झड़ने वाली हो गई थी. वो अपने चरम पर आई तो और तेज तेज गांड उछालने लगी. उसकी मादक आवाजें आने लगीं- आह जीजू अअअअ उईईई … और तेज पेलो अअ अअअ उईईई और तेज.

मैं समझ गया कि इसकी चुत जाने वाली है. मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी.

वो एकदम से शिथिल होने लगी और मुझसे लिपट गई. समीक्षा ने मेरे लौड़े पर ही अपनी चुत का पानी छोड़ दिया था.

मैं अभी भी गर्म था. मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर अपनी रफ्तार में चोदने में लगा हुआ था. उसका पानी बह कर मेरे टट्टों पर आ गया था, लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था.

उसने मुझे और कसके पकड़ लिया और मेरे बालों को खींचने लगी.

कुछ ही पलों बाद समीक्षा ढीली पड़ चुकी थी.

मैंने सोचा कि अभी रुक जाता हूँ. अभी इसको मज़ा नहीं आ रहा होगा. बेचारी थक चुकी है.

मैं लंड निकाल कर उठा और मैंने कपड़े से अपना लंड साफ किया. उसने भी अपनी चूत साफ की.

कुछ समय रुकने के बाद मैंने अपने लंड को उसके हाथों में दे दिया. मेरा लंड उसने अपने हाथों से सहला कर एकदम कड़क कर दिया.

मैंने कहा- साली जी, अब आपकी असली चुदाई होनी बाकी है, तैयार हो जाओ.
वो कहने लगी- जीजू अब रहने दो, आप बहुत तो कर चुके हो.
मैंने कहा- अरे साली जी, अभी आपको मैंने सही ढंग से चोदा ही कहां है. अब अच्छे से चोदूंगा, तभी तो मेरा लंड झड़ेगा.

वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उसको फिर बेड पर डॉगी स्टाइल में किया और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसकी चूत में लंड को डालना शुरू किया.

थोड़ी देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा. उसने मुझे भड़काते हुए कहा- जीजू, अब तो आप धकापेल चोद लो … आपमें जितना दम है, चोदो. अब मुझे दर्द नहीं हो रहा है.
मैंने कहा- साली जी, सच बताओ मैं तुम्हें अपने तरीके से चोद लूं!
वो कहने लगी- जीजू आपको जैसा करना कर लो, मुझे भी मजा आ रहा है.

मैंने कहा- सोच लो रानी, तेरी चूत फट जाएगी!
उसने कहा- फट जाने दो, चूत ही है तो कल सुबह वैसी की वैसी ही हो जाएगी. आप चोदो, बाते न बनाओ.
मैंने दीक्षा को जगाने लगा, तो समीक्षा कहने लगी- नहीं, दीदी को मत बताओ.
मैंने कहा- तू चिंता मत कर, मैं हूँ न!

मैंने दीक्षा को हिलाया और उठने का कहा. उसने मुझे और समीक्षा को नंगा देखा.

समीक्षा कहने लगी- दीदी सॉरी, जीजू ने जबरदस्ती आपकी कसम दे कर ये सब किया है.
तभी दीक्षा ने कहा- कोई बात नहीं समीक्षा .. तेरे जीजू ही तो हैं. मैंने ही उनसे ये सब करने को कहा था. तुम मेरी कमी पूरी कर दो. कुछ दिनों की ही तो बात है.

पहले तो समीक्षा शायद सोच रही थी कि उसे रोज रोज चुदना पड़ेगा … उसका क्या होगा. लेकिन जब दीदी ने कुछ नहीं कहा, तो उसकी हिम्मत बढ़ गई थी.

मैंने दीक्षा से कहा कि जो मैंने सेक्स टाइम बढ़ाने की और लंड कड़क करने की दवाइयां उसको दी थीं, तुम वो लेकर आओ.
तो दीक्षा कहने लगी- वो सब रहने दो. इसके साथ वो सब नहीं करो.
मैंने कहा- ले आओ यार.

फिर दीक्षा ने उसने मुझे दवाई दे दी.

मैंने एक टेबलेट खाई और एक पेनकिलर टेबलेट समीक्षा को खिला दी.

मैंने दीक्षा से कहा- अब तुम सो जाओ.
दीक्षा बोली- कुछ देर देख लेने दो, फिर सो जाऊंगी.
मैंने समीक्षा से कहा- साली जी, अब चुत फड़वाने के लिए तैयार हो जाओ.
उसने कहा- जीजू, मैं तैयार ही हूँ.

मैंने उसको डॉगी की तरह किया और पीछे से अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रख दिया. गोली खा लेने से अब मेरा लंड कड़क हो गया था और थोड़ा फूल चुका था.

मैंने उसके मुँह पर हाथ रखते हुए उसको एक धक्का दिया. मेरा पूरा लंड अन्दर उसकी चुत की दीवारों को फाड़ते हुए उसकी बच्चेदानी तक पहुंच गया.
उसके मुँह से चीख निकल गई ‘आह मर गई दीदी बचाओ मुझे …’

दीक्षा ने मेरा हाथ पकड़ा तो मैंने आराम आराम से लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद मेरी साली का दर्द कम हो गया और वो भी मजे लेकर चुदने लगी. मैंने अपनी स्पीड तेज करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया.

वो ‘बस अअअअ उईईई जीजू … ज्यादा तेज नहीं .. ओ मम्मीईई मैं मर जाऊंगी. आह दीदी अह रोको न .. ओईई आराम से करो जीजू .. अअअअ.’ की मस्त कामुक आवाजें निकाल रही थी.
मैं भी कहां रुकने वाला था. मैं अपने दोनों हाथों में उसके दूध पकड़े हुए भींच रहा था और अपने मोटे लंड को उसकी चूत में धकापेल अन्दर बाहर कर रहा था.

पांच मिनट बाद मैंने समीक्षा को फिर से उसी पोजीशन में बने रहते हुए खड़ा किया और स्टेंडिंग डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया.

मैंने उसके हाथ पीछे करके पकड़ रखे थे और तेज तेज चोद रहा था.

मेरी रफ्तार इतनी तेज थी कि उसके चूतड़ मेरी जांघों में टकरा कर पच पच कर रहे थे.

समीक्षा- अअअह उईईई बस करो जीजू.
वो यही सब आवाजें निकाले जा रही थी.

दवा के असर के कारण करीब एक घंटे तक चुदाई चलती रही. मैं मदहोशी में उसकी चुदाई करता रहा. वो तीन चार बार झड़ चुकी थी और एकदम से निढाल हो चुकी थी.

मुझ पर दवा का इतना ज्यादा असर था कि मैं झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरी ताकत अभी भी बनी हुई थी.

फिर मैंने उसको सीधा लिटाया और उसकी टांगों को अपने कंधों पर रखकर उसे चोदना शुरू किया. इस वक्त मेरे होंठ उसके होंठों पर थे और मेरे हाथ उसको मम्मों को मसल रहे थे. साथ ही मेरा मस्त लंड उसकी प्यारी सी चूत में लगातार आक्रमण किये जा रहा था.

वो रोने लगी थी- अअअह ऊऊउ मम्मीईई रे … जीजू तुम तो हैवान हो गए हो अअअअ … दीदी कैसे सहती हैं. ऊऊउ आप तो मुझे अह आज माररर ही डालोगे उईईई … बस करो अब. मुझमें हिम्मत ही नहीं बची है.

मैंने उसके गालों पर थपथपाया और कहा- तू ही तो कह रही थी साली रंडी कि चोद लो. अब शांत रह कुतिया और चुद.
उसका मुँह ओर चूत दोनों लाल हो रहे थे. मैंने उसे काफी देर तक चोदा.

काफी देर बाद मेरे ऊपर से दवाइयों का असर खत्म हो चुका था और मैं झड़ने वाला हो गया था.

मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी और उससे कहा- बोल साली, पानी कहां निकाल दूँ.
उसने कहा- उसमें नहीं, आप मुँह में या मेरे ऊपर डाल दो.
मैंने कहा- साली लावा है, जल जाएगी.

वो कुछ नहीं बोली.

समीक्षा को चोदते चोदते मैंने लंड बाहर निकाला और एक पिचकारी उसके मुँह में मार दी. बाकी का माल मैंने उसके पेट पर डाल दिया.
वो मेरे माल को पी गई और उसका पेट मेरे वीर्य से बिल्कुल चिकना हो गया था.

झड़ कर मैं वहीं लेट गया और फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको तौलिया दी. उसने अपना पेट और चेहरा साफ किया.
फिर हम दोनों वैसे ही नंगे सो गए.

सुबह करीब 10 बजे हम दोनों उठे, तो दीक्षा हम दोनों के लिए चाय लेकर आई. वो समीक्षा को थैंक्स कहके चली गई.

भाभी की चुदाई उसके पति बनकर की

दोस्तों मेरी शादी बनारस में एक अच्छे घर में हुई थी। मेरे पति सरकारी डॉक्टर थे और बनारस के सरकारी अस्पताल में नौकरी करते थे। मेरी शादी को अभी 6 महीने ही हुए थे। मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते थे। घर में मेरे सास, ससुर और एक देवर संजय था। वो बहुत प्यारा था और मेरा हमेशा ख़याल रखता था। वो भी डॉक्टर बनना चाहता था और अभी नीट की तैयारी कर रहा था। मैं अपनी ससुराल में बहुत खुश थी। एक दिन अचानक संजय ने मुझे फोन किया।
“भाभी भैया का ऐक्सिडेंट हो गया है। जल्दी से अस्पताल आ जाओ” संजय बोला
दोस्ती ये बात सुनकर मुझे चक्कर आने लगा। मैं जल्दी से अस्पताल गयी पर तब तक मेरे पति की मौत हो गयी थी। मैं बेहोश हो गयी थी। पति के मरने के बाद मैं बिलकुल मरियल हो गयी थी। अब मेरी जिन्दगी में सब तरफ अँधेरा ही अँधेरा था। मैं पूरा पूरा दिन रोती रहती थी। खाना नही खाती थी। मैं डीप्रेशन में आ गयी थी। इस तरह से 4 महीने गुजर गये। मेरे पापा मम्मी मेरी ससुराल आये हुए थे। मेरे सास ससुर और पापा मम्मी ने फैसला किया की मैं अब अपने देवर संजय पर बैठ जाऊं। मेरी शादी अब मेरे देवर से कर दी जाए।
“बेटी!! अकेले तू इतनी लम्बी जिन्दगी नही काट सकती। तुझे अब अपने देवर से शादी करनी होगी” मेरी मम्मी बोली
“मम्मी! जो आपको सही लगे करिये” मैंने कहा
उसके बाद मेरी शादी मेरे देवर संजय से कर दी गयी। ये कार्यक्रम सादे समारोह में कर लिया गया। क्यूंकि मैं अब विधवा हो चुकी थी। इसलिए कोई जादा ख़ुशी का मौका नही था। पंडित ने मेरी और संजय की शादी करवा दी। फिर अग्नि के 7 फेरे लेकर हम पति पत्नी बन गये। शादी के बाद हम दोनों अपने कमरे में सुहागरात मनाने आ गये थे। अब मेरा देवर संजय ही मेरा नया पति था। मैंने लाल रंग की अच्छी सी साड़ी पहन रखी थी। मैं कमरे में आकर बेड पर एक तरफ बैठ गयी। मैं बार बार संजय को तिरछी नजरो से देख रही थी। उसने कपड़े बदल लिए और कुर्ता पजामा पहन लिया।
वो भी बिस्तर पर एक तरफ बैठ गया था। वो काफी संकोची स्वाभाव का था। मैं तिरछी नजरो से अब अपने नये पति संजय को देख रही थी और सोच रही थी की कैसा किस्मत का खेल है। जिस देवर के साथ मैं हंसी मजाक करती थी और ठिठोली करती थी आज वो मेरा पति परमेशवर बन गया है। संजय मुझे देखने लगा। उसने धीरे से मेरे हाथ को पकड़ लिया। मैं डर गयी और कापने लगी। मैं जान गयी थी की अब वो मुझे चोदेगा।
“भाभी अगर आज आपका सुहागरात मनाने का मन नही है तो कोई बात नही। मैं कोई जोर जबरदस्ती नही करूँगा। आप पहले मेरी भाभी हो बाद में मेरी पत्नी हो!!” संजय बोला और दूसरी तरह मुंह करके लेट गया। मैं चुप थी और अपनी जिन्दगी के बारे में सोच रही थी। अब मुझे लग रहा था की संजय बुरा लड़का नही है। धीरे धीरे मैं नार्मल हो गयी। दोस्तों मेरी सास मेरे कमरे में दूध का गिलास और मिठाई रख गयी थी।
“संजय!!” मैंने उसे आवाज दी। उसने मेरी तरह मुंह किया
“क्या है भाभी???” वो बोला
“भाभी नही अब मुझे अनीता बोलो!!” मैंने कहा
उसके बाद संजय बैठ गया। मैंने उसे अपने हाथो से दूध पिलाया। फिर हम प्यार करने लगे। संजय ने मेरे सिर पर से मेरा पल्लू हटा दिया। फिर मुझे बाँहों में भर लिया। हम दोनों किस करने लगे। संजय जल्दी जल्दी मेरे होठ चूसने लगा। कुछ ही देर में हम दोनों चुदासे हो गये।
“अनीता चलो जल्दी से कपड़े उतार दो” संजय बोला।
फिर वो अपने कपड़े उतारने लगा और मैं अपने। मैंने अपनी साड़ी खोलनी शुरू कर दी। फिर ब्लाउस और पेटीकोट भी निकाल दिया। फिर मैंने अपनी ब्रा और पेंटी भी उतार दी। दोस्तों मैं बहुत गोरी और सुंदर लड़की थी। मेरा बदन बहुत गोरा, भरा हुआ और सुडौल था। मेरा फिगर कमाल का था। मैं बहुत सेक्सी और हॉट माल लगती थी। 36, 30, 34 का फिगर था मेरा। छरहरा और बिलकुल फिट। मेरे बूब्स 36” के बड़े बड़े और गोल थे। मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी और वापिस आकर बेड पर बैठ गयी। संजय भी नंगा होकर मेरे पास आ गया। उसका लंड अभी सूखा हुआ था और खड़ा नही था। संजय ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर बाहों में भरकर किस करने लगा। हम दोनों कुछ ही देर में गर्म हो गये थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे।
संजय ने मुझे सीने से लगा लिया और मुझे वो हर जगह चूम रहा था। मेरे हाथ, पैर, कमर, पेट, गले, गाल, मत्थे सब जगह उसने चुम्बन की बारिश कर दी थी। मेरी टांगो, जांघो, और पुट्ठो को संजय हाथ से छू और सहला रहा था। मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने अपने बाल खोल दिए थे जिससे मैं और सेक्सी माल लग रही थी। फिर संजय ने मेरे मम्मो को पकड़ लिया और हाथ से सहलाने लगा। वो मेरे उपर लेट गया और मेरे रसीले और सेक्सी होठ चूसने लगा। फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और 15 20 मिनट तक हम दोनों चिपके ही रहे और मजा लेते रहे। संजय मुझे सीने से लगाकर बिस्तर पर घुमड़ी खाने लगा। हम दोनों गोल गोल करवट ले रहे थे और मस्ती कर रहे थे। कभी संजय नीचे हो जाता कभी मैं।
“भाभी दूध पिलाओ ना” संजय बोला
“श श श अब मैं तुम्हारी भाभी नही बीबी हूँ। प्लीस मुझे अनीता कहकर बुलाया करो” मैंने शिकायत के अंदाज में कहा
“नही भाभी!! तुम तो मेरे लिए हमेशा भाभी रहोगी क्यूंकि भाभी बीबी से जादा सेक्सी और चुदासी माल होती है” संजय हंसकर बोला
“अच्छा???” मैंने कहा और मैं भी हँसने लगी
फिर संजय ने मेरे हाथ खोल दिए और मेरे आम को हाथ में पकड़ लिया और दबाने लगा। बिना देर किये संजय ने मेरे मम्मे को हाथ में ले लिया और उसका साइज पता करने लगा। मेरे दूध बहुत सुंदर थे, छातियाँ भरी हुई, सुडौल और गोल गोल थी, जैसे उपर वाले ने कितनी फुर्सत से बैठकर मेरी जैसी माल और मस्त चोदने लायक लड़की बनाई थी। मेरी उजली छातियाँ पूरे गर्व से तनी हुई थी। छातियों के शिखर पर अनार जैसे लाल लाल बड़े बड़े घेरे मेरी निपल्स के चारो ओर बने थे, जिसमे मैं बहुत सेक्सी माल लग रही थी। संजय की नजर मुझ पर जम गयी। तेजी से उसने मेरी रसीली बलखाती चुचियों को अपने वश में कर लिया और दोनों मम्मो को दोनों हाथ से दबोच लिया और तेज तेज दबाने और मसलने लगा।
““उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….” मैं तेज तेज चिल्लाने लगी। संजय मेरे दूध को किसी हॉर्न की तरह दबाने लगा। मुझे भी काफी मजा आ रहा था। फिर वो लेटकर मेरे दूध मुंह में लेकर पीने लगा। मैं तडप गयी। मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी थी।
‘भाभी!! तुम इतनी कड़क माल हो की जो मर्द तुमको एक बार देख ले उसका लौड़ा तुरंत खड़ा हो जाएगा और वो तुमको चोदकर ही मानेगा’ संजय बोला। मुझे उसकी बात अच्छी लगी। वो फिर से मुझ पर लेट गया और हपर हपर करके लपर लपर करके मेरी नुकीली बेहद कमसिन चूचियों को मुँह में भरके पीने लगा। वो तो बहुत शरारती निकला। वो मेरी नुकीली छातियों को दांत से काट रहा था और पी रहा था। मुझे दर्द भी हो रहा था, उतेज्जना भी हो रही थी और मजा भी आ रहा था। ‘संजय!…प्लीस आराम से मेरे नारियल चूसो!! आराम से चूसो!!’ मैंने कहा। पर उस पर कोई असर नही पड़ा। वो अपनी धुन में था। जोर जोर से मेरी सफ़ेद कदली समान चूचियाँ दांत से जोर जोर से काट कर पी रहे था। वो बहुत जादा चुदासा हो गया था। उसका बस चलता तो मेरी छातियाँ खा ही लेता। मेरी रसीली छातियों को वो जोर जोर से दबा रहा था और निपल्स पर अपनी जीभ फेरते थे और पी रहा था। दोस्तों, बड़ी देर तक यही खेल चलता रहा। संजय ने मेरे हाथ में अपना लंड दे दिया।
“भाभी चूसो ना प्लीस” वो किसी छोटे बच्चे की तरह मनुहार करता बोला। हाय दादा!! कितना बड़ा लौड़ा था उसका। 9 इंच था। मैंने हाथ में लिया तो मैं डर गयी थी। मुझे डर लग रहा था की इतना बड़ा लंड मेरी चूत में कैसे अंदर जाएगा। फिर मैं जल्दी जल्दी उसका लंड फेटने लगी। कुछ ही देर में संजय का लंड खड़ा हो गया था। वो देखने में बहुत ही सेक्सी लंड लग रहा था। जैसे किसी गधे का लंड हो। मैं जल्दी जल्दी उसे उपर नीचे करके फेटने लगी। संजय को भी बहुत मजा आ रहा था। वो आह आह की आवाज निकाल रहा था। मैं और जल्दी जल्दी उसका लंड फेटने लगी। फिर मुंह में लेकर मैं चूसने लगी। बार बार मेरे बाल नीचे गिर जाते थे। बार बार मुझे बालों को उपर कान के पीछे ले जाना पड़ता था।
संजय का लंड तो बहुत ही रसीला था। मैं मुंह में लेकर जल्दी जल्दी चूसने लगी। संजय मेरी चूत सहलाने लगा। धीरे धीरे मैं गर्म हुई जा रही थी। फिर मैंने उसके लंड को गले में अंदर तक भर लिया। बड़ी देर तक मैंने लंड बाहर ही नही निकाला। फिर कुछ मिनट बाद मैंने उसका लंड बाहर निकाला। उसे मेरा ये कारनामा बड़ा अच्छा लगा। फिर मैंने जल्दी जल्दी मेहनत से संजय का लंड चूसने लग गयी और हाथ से फेट रही थी। मेरा हाथ तो रुकने का नाम ही नही ले रहा था। गोल गोल मैंने अपने हाथ से संजय का मोटा लंड फेट रही थी। वो तडप रहा था। उसे बड़ा कामुक महसूस हो रहा था। बहुत सेक्सी अहसास उसे हो रहा था। संजय का लंड इतना लम्बा था की मेरे हाथ में नही आ रहा था। किसी मोटे खीरे की तरह दिख रहा था। मैं जल्दी जल्दी फेट फेट कर चूस रही थी। मेरे मुंह में उसका वीर्य चुपड़ गया था और चिपचिपे माल से डोरी जैसी निकल रही थी। मैं मेहनत से किसी रंडी की तरह उसका लंड जल्दी जल्दी चूस रही थी। अब उसका लंड और जादा फूलकर बड़ा हो गया था। मैं डर रही थी की कहीं उसका लंड मेरी चूत ना फाड़ दे।
संजय मेरी चूत पर आ गया और उसने मेरी गोरी खूबसूरत टाँगे खोल दी। मैं शरमा गयी। ‘भाभी! तेरी चूत बहुत सुंदर है। मैंने कई चूत मारी है पर तुम्हारी चूत सबसे जादा सुंदर है’ संजय बोला। मुझे ये सुनकर गर्व हुआ। किसी ने तो मेरी चूत की तारीफ़ की। दोस्तों, हर सुबह मैं जब नहाती थी अपनी चूत जरुर देखती थी। उसे साबुन से मल मल कर नहलाती थी। इसलिए वो बहुत साफ़ और चिकनी थी और बहुत खूबसूरत लगती थी। वो बड़ी देर तक मेरी गुलाबी चूत के दर्शन करता रहा। फिर मेरी चूत पीने लगा। अपने ओंठ को लगा लगाकर मेरी चूत पीने लगा। मैं सिसकने लगी। दोस्तों जादातर औरतो की चूत अंदर की ओर धंसी हुई होती है, पर मेरी चूत तो खूब बड़ी सी थी और बाहर ही तरफ उभरी हुई थी। एकदम फूली हुई गुप्पा सी गुलाबी रंग की चूत थी मेरी चूत। संजय की जीभ मेरी चूत को मजे लेकर चाट रही थी। मुझे बहुत सनसनी महसूस हो रही थी। मैं अपनी चूचियों को खुद ही जोर जोर से हाथ में लेकर दबा रही थी। कहना गलत ना होगा की मुझे भी आज खूब मजा मिल रहा था।
इसके साथ ही उसने अपनी हाथ की बीच वाली ऊँगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगे। “आऊ….. आऊ…..हमममम अहह्ह्ह्हह….सी सी सी सी.. हा हा हा..” करके मैं तेज तेज चिल्लाने लगी। मैं क्या करती दोस्तों, मेरी चूत में अजीब से सनसनाहट हो रही थी। संजय जल्दी जल्दी अपनी मध्यमा से मेरी बुर फेटने लगा। मैं अपनी कमर और पेट उपर उठाने लगी। मेरा गला बार बार सुख रहा था। अजीब हालत थी ये। मेरे तन मन में सनसनाहट हो रही थी। एक तरफ संजय की ऊँगली, तो दूसरी तरह उनकी जीभ और होठ। आज मेरा बच पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन था।
संजय को जाने क्या मजा मेरी चूत पीने में मिल रहा था, मैं नही समझ पा रही थी। उसकी जीभ मेरे जिस्म के सबसे कोमल और सम्वेदनशील हिस्से से खेल रही थी। ये विचित्र और अलग अहसास था। मेरे चूत के दाने को वो अपने दांत से पकड़ लेता था और उपर की तरह खीच लेता था। मैं पागल हो रही थी।
“प्लीससस……प्लीससस.. उ उ उ उ ऊऊऊ…..ऊँ—ऊँ….ऊँ…संजय अब मुझे चोद लो वरना मैं मर जाउंगी!!” मैंने कहा
देवर ने पति बना संजय अब मुझे चोदने को रेडी था। फिर संजय ने अपना बड़ा सा लौड़ा मेरे भोसड़े पर सेट कर दिया और धक्का जोर से अंदर की तरह मारा। उसका लंड किसी मिसाइल की तरह मेरी चूत में प्रवेश कर कर गया। दोस्तों मेरे पहले पति का लंड संजय से छोटा था। वो मुझे चोदकर इतना मजा नही दे पाते थे जितना की आज संजय दे रहा था। आज मैं खुलकर अपने देवर के साथ सुहागरात मना रही थी।
दोनों पैर उठाकर मैं संजय से चुद रही थी। वो मुझे हप हप करके चोदने लगा। मैं “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…..” करके सिसकारी लेने लगी। मोटा लौड़ा खाने में कुछ जादा मजा आता है। क्यूंकि इससे चूत अच्छी तरह से चुद जाती है। चूत की दीवारों में मोटा लौड़ा जादा रगड़ और जादा घर्षण पैदा करता है जिससे चरम सुख मिलता है। इस तरह मैं आज संजय से मजे से चुदवाने लगी। मैं सीधा लेटकर दोनों टाँगे फैलाकर चुदवा रही थी। फिर वो अचानक जोर जोर से इतनी जोर से धक्के देने लगा की मुझे लगा की जमीन ही खिसक जाएगी। मेरे कमरे में पट पट का शोर होने लगा लगा।
“…..अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्……उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह…..चोदोदोदो…..मुझे और कसकर चोदोदो दो दो दो” मैं पागलो की तरह गुहार लगा रही थी। ये मेरी चुदाई और गहरी ठुकाई का मीठा शोर था। इस ध्वनि से आज मेरा घर पवित्र हो गया। मेरी चूत फटते फटते बची। फिर वो जवान लौंडा मेरी योनी में ही झड गया। 10 मिनट बाद ही वो फिर से गर्म हो गया और उसने मेरी गांड के नीचे 2 मोटा तकिया लगा दिया। फिर उसने मेरी गांड में तेल लगाकर दिया और लंड में भी तेल चुपड़ लिया। फिर संजय ने मेरी गांड पर अपना 9” का मोटा लंड सेट कर दिया और जोर से अंदर माल दिया। फिर वो मेरी गांड जल्दी जल्दी चोदने लगा। मुझे काफी दर्द हो रहा था पर मजा भी भरपूर मिल रहा था।
संजय पूरे जोश में मेरी गांड जल्दी जल्दी चोद रहा था। उसे किसी कुवारी लड़की की तरह कसावट मिल रही थी। दोस्तों मेरे पति मेरी गांड नही मारते थे। कुछ देर बाद मैं आनंद में डूब गयी थी। मुझे बड़ा सेक्सी फील हो रहा था। संजय ने मेरी गांड चोद चोदकर छेद बड़ा कर दिया था। फिर उसने माल मेरी गांड में ही छोड़ दिया। मेरी सुहागरात पर देवर से पति बने संजय ने 3 बार मेरी चूत चोदी और 2 बार गांड मारी। सुबह जब मैं उठी तो मेरा बदन टूट रहा था। सारे बदन में दर्द हो रहा था। पर रात में मुझे भरपूर मजा मिला था। कहानी आपको कैसे लगी,